श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस के अंतर्गत संचालित MBA के विद्यार्थियों ने मनाया वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स दिवस

श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस के अंतर्गत संचालित MBA के विद्यार्थियों ने मनाया वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स दिवस

भिलाई।   10 दिसंबर को श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस के अंतर्गत संचालित MBA के विद्यार्थियों  ने वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स दिवस  (World Human Rights Day) मनाया।
 World Human Rights Day के अवसर पर एमबीए के छात्रों ने पैनल डिस्कशन के द्वारा मानव अधिकार के बारे में जानकारी सांझा किया एवम कॉलेज के स्टूडेंट्स को भी जानकारी प्रदान की। 
इस अवसर पर एमबीए के छात्रों ने बताया कि World *Human Rights Day* हर साल 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सबसे पहले 10 दिसंबर 1948 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों को अपनाने की घोषणा की। World Human Rights Day हर साल 10 दिसंबर का दिन दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
मानवाधिकार अर्थात विश्व में रहने वाले प्रत्येक मानव को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार जो विश्व को एक सूत्र में बांधते हों, हर मानव की रक्षा करते हों, उसे दुनिया में स्वतंत्रता के साथ जीवनयापन करने की छूट देते हों। किसी मनुष्य के साथ किसी भी कीमत पर कोई भेदभाव न हो, समस्या न हो, सब शांति से खुशी- खुशी अपना जीवन जी सकें, इसलिए मानव अधिकारों का निर्माण हुआ। इसमें देश की प्रगति को ध्यान में रखते हुए शिक्षा का अधिकार जैसे कई सामाजिक अधिकारों को सम्मिलित किया गया।

इतिहास

10 दिसंबर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी थी। वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष 10 दिसंबर  को 'विश्व मानवाधिकार दिवस' मनाना तय किया। भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया था और 12 अक्तूबर, 1993 को *'राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग'* का गठन किया गया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया। 

क्या होते हैं मानव अधिकार

मानव अधिकार का मतलब मनुष्यों को वो सभी अधिकार देना है, जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से मौजूद हैं और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा दी जाती है।

मानव अधिकारों का महत्व

इस दुनिया में सभी लोग अधिकारों के मामले में बराबर हैं । देश में लोगों के बीच नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता या समाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म आदि बातों के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता है इसलिए मानव अधिकारों का निर्माण किया गया। कोई भी व्यक्ति किसी भा हाल में किसी पर दासता नहीं जता सकता है। हम सभी ईश्वर के संतानें हैं, कोई भी सरकार या संस्था किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है।

भारत में काम करने की है आवश्यकता

भारत में मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी कई सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं। पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता का स्तर थोड़ा कम है, वहां मानवाधिकारों का हनन होना आम बात है। ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ताकत है, वे इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। शहरों में जिन लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी तो है लेकिन वे इनसे गलत फायदा भी उठा लेते हैं।

आखिर क्यों जरूरी है मौलिक अधिकार?

मौलिक अधिकार नागरिकों को सरकार के खिलाफ एक सुरक्षा देते हैं। मौलिक अधिकार नागरिकों को जीने की आजादी और स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं। यह सरकार की कार्यकारिणी पर अंकुश लगाते हैं। ये लोक और निजी अधिकारों के संरक्षण के लिए भी जरूरी है। मौलिक अधिकार देश में सत्तावादी और तानाशाही शासन की स्थापना को भी रोकता हैं। वे व्यक्तियों और देश के समग्र विकास के लिए भी बहुत जरूरी है।

भारत में मौलिक अधिकार कितने हैं?

किसी भी देश के नागरिकों के मौलिक अधिकार उनके संविधान में लिखित होते हैं। भारत में एक व्यक्ति को 6 मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जो समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

उपर्युक्त कार्यक्रम के लिए श्री शंकराचार्य टेक्निकल कैंपस के मुखिया आई पी मिश्रा, अध्यक्षा श्रीमती जया अभिषेक मिश्रा, संस्था के Vice Chairman रूद्रांश मिश्रा, संस्था के Director डॉ. पी बी देशमुख जी, संस्था के उपप्राचार्या डॉ जसपाल बग्गा  ने विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ शुभकामनाएँ दी है और विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सौरेन सरकार एवं समस्त प्राध्यापकों के कार्यों की प्रशंसा किए है. World human rights day  celebration के सफल आयोजन में विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक  डॉ.  विश्वजीत भट्टाचार्य,  सुरेश कुमार , रुमीत कुमार साहू, श्रीमती प्रेरणा द्विवेदी एवं सुश्री निमिषा आहूजा का योगदन सराहनीय रहा।