2 हजार आदिवासी समाज के लोगों ने कर दिया हाईवे जाम

10 सूत्रीय मांगों को लेकर विधानसभा रायपुर का घेराव करने बस्तर व मानपुर क्षेत्र से निकले

2 हजार आदिवासी समाज के लोगों ने कर दिया हाईवे जाम

धमतरी। सरकेगुड़ा, एडसमेटा न्यायिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने सहित 10 सूत्रीय मांगों को लेकर विधानसभा रायपुर का घेराव करने बस्तर व मानपुर क्षेत्र से निकले आदिवासी समाज के लोगों को गुरुवार को राजाराव पठार के पास पुलिस प्रशासन ने रोक दिया।जिससे आक्रोशित होकर लोगों ने सुबह 10 से 11.45 तक बजे तक नेशनल हाइवे 30 में चक्काजाम किया। प्रदर्शन कर रहे लोगों को रोकने के लिए बैरिकेट्स भी लगाए गए, जिसे तोड़कर कर लोग पैदल आगे बढ़ गए।

देर शाम तक धमतरी जिले में प्रवेश कर चुके थे। इस दौरान कई बार चक्काजाम की स्थिति बनी। राजाराव पठार के पास कलेक्टर जनमेजय महोबे सहित तीन जिले की पुलिस प्रशासन की टीम ने समझाइश दिया। लेकिन अपनी मांगों को लेकर समाज के लोग अड़े रहे। टोल नाका के पास भी लोगों को रोकने का प्रयास किया,लेकिन असफल रहे। इस दौरान आंदोलनकारी नारेबाजी करते नजर आए कि सत्ता व विपक्ष के नेता जवाब दो, 75 साल के आजादी का हिसाब दो। जगतरा के पास पुलिस प्रशासन की ओर से पानी की व्यवस्था की गई।कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने आदिवासी समाज के मुखिया टेकाम के साथ गुंडरदेही विधायक एवं ससंदीय सचिव कुंवर सिह निषाद से बात कराया। लेकिन अपनी मांगों को लेकर अड़े रहें, और आगे बढ़ गए। जगतरा से आगे बढ़ने के बाद बालोद एसपी गोवर्धन ठाकुर भी अपने स्तर पर किसी से बात कराया। बालोदगहन के पास आबकारी मंत्री कवासी लखमा के माध्यम से बात कराया गया लेकिन समाज के लोग नहीं माने और आगे बढ़ गए। लोगों का कहना था कि 14 साल से सरकार को 10 सूत्रीय मांगों के संबंध में अवगत करा चुके हैं लेकिन भाजपा एवं कांग्रेस सरकार आदिवासी समाज को केवल झूठा आश्वासन देते आ रहे हैं। सरकार के मंत्री के साथ बात करने के लिए तैयार हैं। इस दौरान तीन जिले के प्रशासिनक, पुलिस अफसर, जवान मौजूद रहे।

आदिवासी समाज की ये है मांगे

  • सरकेगुड़ा, एडसमेटा, न्यायिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • बस्तर में सैनिकरण निरस्त करते हुए पुलिस कैंप बंद हो।
  • फर्जी मुठभेड़, मामलों में गिरफ्तारी बंद हो। जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की तुरंत रिहाई, संविधान सम्मत पेसा कानून धारा 4(घ) एवं 4 (ण) के तहत हर गांव में 'ग्राम सरकार' एवं हर जिले में 'जिला सरकार ' गठन की प्रशासकीय व्यवस्था लागू हो।
  • संविधान के 5वीं अनुसूची के पैरा 5(2) के तहत अनुसूचित क्षेत्र में भू-अधिग्रहण एवं भू-हस्तांतरण को विनियमित करने के लिए "आंध्र प्रदेश अनुसूचित क्षेत्र भू-हस्तांतरण विनियम कानून,( संशोधित)1970 के तर्ज पर छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में संशोधन कर कानून बने। ग्रामसभा के निर्णय का पालन हो।
  • बिना ग्रामसभा सहमति के किसी भी कानून से किसी भी परियोजना के लिए जारी भूमि अधिग्रहण निरस्त हो।
  • मौलिक अधिकारों को हनन करने वाला "छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम 2005 को खारिज किया जाए।
  • अनुसूचित इलाकों में ग्राम पंचायतों को अनारक्षित घोषणा करना बंद हो। अनुसूचित क्षेत्र में संविधान का अनुच्छेद 243 (य, ग) का पालन करते हुए सारे गैर-कानूनी नगर पंचायतों, नगर पालिका को भंग करते हुए पैसा कानून के तहत पंचायती व्यवस्था लागू करें।