हाईवे गैंगरेप कांड: 9 साल बाद पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा, अंतिम सांस तक जेल में रहेंगे



उत्तर प्रदेश। बुलंदशहर के बहुचर्चित नेशनल हाईवे-91 सामूहिक दुष्कर्म और लूट कांड में नौ साल बाद न्याय का फैसला आया है। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ओपी वर्मा की अदालत ने कार सवार परिवार को बंधक बनाकर मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और लूटपाट करने के पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। प्रत्येक दोषी पर 1.81 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।

दोषी करार दिए गए जुबैर, साजिद, धर्मवीर, नरेश और सुनील को सोमवार को सजा सुनाई गई। अदालत ने आदेश दिया कि दोषी अंतिम सांस तक जेल में रहेंगे। अर्थदंड की आधी राशि पीड़ित मां-बेटी को दी जाएगी। गत शनिवार को जब अदालत ने दोष सिद्ध किया था, तब जुबैर और साजिद पुलिस अभिरक्षा में मीडिया के सामने बेखौफ नजर आए थे और कैमरों की ओर देखकर कह रहे थे, “हमें फेमस कर दो।” लेकिन सजा के दिन उनका रवैया पूरी तरह बदल गया। अदालत परिसर में जुबैर और साजिद खुद को निर्दोष बताते हुए गिड़गिड़ाते नजर आए, जबकि अन्य तीन दोषी धर्मवीर, नरेश और सुनील चुप्पी साधे रहे। पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच सभी को न्यायालय की हवालात तक पहुंचाया।

127 पन्नों के विस्तृत फैसले में अदालत ने वारदात की बर्बरता को रेखांकित करते हुए कहा कि समाज में भय फैलाने वाले जघन्य अपराधों में नरमी की कोई गुंजाइश नहीं है। न्यायालय ने चश्मदीदों के बयान, फॉरेंसिक रिपोर्ट और साक्ष्यों की हर कड़ी का बारीकी से विश्लेषण किया। कोर्ट ने साफ कहा कि सड़क पर चलने वाले बेगुनाह नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। यह वारदात 28 जुलाई 2016 की रात हुई थी। गाजियाबाद निवासी एक परिवार शाहजहांपुर में तेरहवीं कार्यक्रम में शामिल होने जा रहा था। बुलंदशहर के देहात कोतवाली क्षेत्र में दोस्तपुर फ्लाईओवर के पास बदमाशों ने कार रोककर छह लोगों को बंधक बना लिया। उन्हें कार समेत खेत में ले जाया गया, जहां पुरुष सदस्यों के हाथ-पैर बांध दिए गए और 14 वर्षीय किशोरी व उसकी मां के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इसके बाद आरोपी लूटपाट कर फरार हो गए थे। मामले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपी गई। जांच के दौरान कुल छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। एक अभियुक्त सलीम की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई। शेष पांच अभियुक्तों को अब आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इस प्रकरण में शुरुआती जांच में लापरवाही सामने आने पर तत्कालीन एसएसपी समेत 17 पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई हुई थी।

