गरीब बच्चों की पढ़ाई पर खतरा, RTE में नर्सरी से प्रवेश खत्म करने के फैसले के खिलाफ आप और सिविल सोसाइटी ने सौंपा ज्ञापन

गरीब बच्चों की पढ़ाई पर खतरा, RTE में नर्सरी से प्रवेश खत्म करने के फैसले के खिलाफ आप और सिविल सोसाइटी ने सौंपा ज्ञापन

दुर्ग। आम आदमी पार्टी और सिविल सोसाइटी दुर्ग-भिलाई के सदस्यों ने जिलाधीश को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत नर्सरी से केजी-2 तक गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित किए जाने और अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालने के फैसले पर आपत्ति दर्ज कराई गई।

आप नेता मेहरबान सिंह ने बताया कि वर्ष 2013 में स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आदेश जारी कर निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें नर्सरी से ही आरक्षित की गई थीं। इस व्यवस्था के तहत बच्चे नर्सरी से लेकर 12वीं तक निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकते थे। इससे बच्चों की शिक्षा की नींव मजबूत होती थी और अभिभावकों को यह भरोसा रहता था कि उनके बच्चों की पढ़ाई पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन ने निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों में बदलाव करते हुए नर्सरी से प्रवेश की व्यवस्था समाप्त कर दी है और अब कक्षा पहली से ही आरटीई के तहत प्रवेश का आदेश जारी किया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय द्वारा 16 दिसंबर को संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को जारी आदेश में धारा 12 के खंड (1) के उपखंड (ग) के अंतर्गत निजी स्कूलों में कक्षा पहली से प्रवेश देने का निर्णय लिया गया है।

आप नेता जसप्रीत सिंह ने कहा कि यह निर्णय बिना व्यापक अध्ययन के लिया गया है, जिसका सीधा असर गरीब बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा। नर्सरी से केजी-2 तक की पढ़ाई का खर्च अब अभिभावकों को स्वयं उठाना पड़ेगा, जिससे कई परिवार अपने बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से वंचित कर सकते हैं। आर्थिक तंगी के कारण अनेक अभिभावक बच्चों को सीधे कक्षा पहली में ही आरटीई के तहत प्रवेश दिलाने का निर्णय ले सकते हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा की नींव कमजोर रह जाएगी। आप नेताओं ने आशंका जताई कि इस आदेश के लागू होने से कक्षा पहली में प्रवेश के समय कई स्कूलों में सीटें या तो शून्य रह जाएंगी या आधी भरेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि कोई भी बच्चा आर्थिक कारणों से शिक्षा से वंचित न हो, लेकिन भाजपा सरकार इस जिम्मेदारी से पीछे हटती नजर आ रही है। शिक्षा बजट में कटौती कर गरीब बच्चों की पढ़ाई पर असर डाला जा रहा है और निजी स्कूलों के व्यवसायीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। आम आदमी पार्टी और सिविल सोसाइटी ने मांग की है कि सरकार इस आदेश को तुरंत वापस ले। चेतावनी दी गई कि यदि गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने वाला यह फैसला नहीं बदला गया, तो आम आदमी पार्टी पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी। ज्ञापन सौंपने के दौरान मेहरबान सिंह, जसप्रीत सिंह, बलविंदर सिंह, अविनाश गायकवाड़, रऊफ अंसारी, प्रेम सोनू यादव, धर्मेंद्र चौधरी, मनीष, के. बाबू, मिश्रा कमल, दिवाकर ठाकुर और शिवा रायडू उपस्थित रहे।