मदनवाड़ा नक्सली हमले कांड की रिपोर्ट विधानसभा में पेश

आयोग ने निलंबित IPS मुकेश गुप्ता की भूमिका पर उठाए हैं गंभीर सवाल

मदनवाड़ा नक्सली हमले कांड की रिपोर्ट विधानसभा में पेश

रायपुर। 12 साल पहले राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा में हुए नक्सली हमले का एक सच बुधवार को सार्वजनिक हो गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में रख दी। इस रिपोर्ट में 12 जुलाई 2009 को हुई मुठभेड़ की परिस्थितियों और रणनीतिक गलतियों का खाका पेश किया है। आयोग ने निलंबित IPS मुकेश गुप्ता की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

आयोग की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है, यह बहुत दु:खद स्थिति है कि आईजी जोन की उपस्थिति में नक्सलियों ने एक शहादत पाए एसपी और दूसरे पुलिसकर्मियों के शवों से बुलेट प्रूफ जैकेट, जूते, हथियार और दूसरी चीजें निकाल लीं। कुछ गवाहों ने दावा किया है कि उन्होंने नक्सलियों पर गोली चलाई, लेकिन उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। यह देखने में अविश्वसनीय लगता है, या तो उन्होंने नक्सलियों पर फायर ही नहीं किया या फिर वे पूरे समय लक्ष्य को दुर्लक्ष्य कर रहे थे। यह कोई बहादुरी नहीं है कि आप नक्सलियों के सामने खामोश दर्शक बनकर खड़े रहे। अगर पुलिस ने नक्सलियों पर गोली चलाई होती तो उनकी तरफ के लोग भी हताहत हुए होते। यह स्वीकृत तथ्य है कि उस मुठभेड़ में नक्सलियों की ओर से किसी की मौत नहीं हुई।

आयोग ने कहा है, अगर कमांडर/आईजी जोन ने बुद्धिमता पूर्ण कृत्य किया होता तो या साहस दिखाया हाेता तो नतीजा बिल्कुल अलग आता। उसके पास पर्याप्त समय था कि वह सीआरपीएफ अथवा सीएएफ को बुलाकर उनका उपयोग कर सकता था। आयोग ने दर्ज किया है, ऐसा प्रतीत होता है कि वह भी अपने जीवन के लिए डर रहा था। ठीक उसी समय उसने एसपी विनोद चौबे को नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए अग्रिम हमले में ढकेल दिया। यह स्पष्ट रूप से साक्ष्य में आया है कि आईजी जोन (मुकेश गुप्ता) अपनी बुलेटप्रूफ कार में बैठा रहा। उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया जैसा कि उसके पुरस्कार के उद्धरण में लिखा गया है।

जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव आयोग की रिपोर्ट बताती है कि नक्सलियों ने हमले की एक सीडी भी बनाई थी। यह भी रिकॉर्ड में उपलब्ध है। इसमें दिखाया गया था कि 29 अफसरों और जवानों की हत्या और सामान लूटने के बाद नक्सली उत्सव मना रहे हैं। यह सीडी कमांडर मुकेश गुप्ता की लापरवाही, असावधानी के अनेक संस्करणों को दर्शाती है। आयोग ने दर्ज किया है कि मुकेश गुप्ता घटना क्षेत्र में सुबह 9.30 बजे से शाम 5.15 बजे मौजूद थे। उनकी मौजूदगी में ही सारी जनहानि हुई।

पुलिस का मैसेज इंटरसेप्ट कर रहे थे नक्सली

आयोग की जांच में सामने आया है कि मदनवाड़ा एम्बुश में नक्सली पुलिस का वायरलेस मैसेज इंटरसेप्ट कर रहे थे। जांच में आया कि मदनवाड़ा के एम्बुश के बाद नक्सलियों ने पुलिस का एक मैसेज पकड़ा। उसके बाद उन्होंने कोरकोट्‌टी गांव में एक एम्बुश लगाया। मोटरसाइकिल पर मदनवाड़ा की ओर जाने के लिए निकले पुलिसकर्मी आसानी से उनकी गोलियों का शिकार बन गए। इस खतरे की चेतावनी शहीद एसपी विनोद चौबे ने दी थी, लेकिन एम्बुश की सूचना भी उन्हें नहीं पहुंचाई जा सकी।