बिहार में जाति जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 8 अक्टूबर अक्तूबर को 

बिहार में जाति जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 8 अक्टूबर अक्तूबर को 


नई दिल्ली (एजेंसी)। बिहार में जाति जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें याचिकाकर्ता ने जातिगत जनगणना का विरोध किया है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण डेटा प्रकाशित कर दिया है। ऐसे में इस पर जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह अक्तूबर को तय कर दी। 
इससे पहले बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए थे। लोकसभा चुनाव से पहले जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 फीसदी है।


बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक
बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है। इसमें ईबीसी (36 फीसदी) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है।

अनुसूचित जाति राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत
सर्वेक्षण के मुताबिक, अनुसूचित जाति राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है। अनारक्षित श्रेणी से संबंधित लोग प्रदेश की कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत हैं, जो 1990 के दशक की मंडल लहर तक राजनीति पर हावी रहने वाली उच्च जातियों को दर्शाते हैं।