बंगाली समुदाय के लोग षष्टी को करेंगे माँ दुर्गा का स्वागत; सेक्टर 6, हुडको, वैशाली नगर और हाउसिंग बोर्ड कालीबाड़ी में तैयारी जोरों पर
सेक्टर 6 कालीबाड़ी
हुडको कालीबाड़ी
वैशाली नगर कालीबाड़ी
हाउसिंग बोर्ड कालीबाड़ी
भिलाई। दुर्ग जिले के भिलाई शहर मिनी इंडिया के रूप में जाना जाता है। कई समाज व धर्म के लोग यहां निवासरत हैं। सभी त्योहारों का एक विशेष महत्व है। 3 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व शुरू हो चुकी है लेकिन बंगाली कल्चर के लोगों द्वारा पंचमी 8 अक्टूबर मंगलवार के दिन से इस त्योहार को मनाया जाएगा। शहर के पंडालों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। वहीं पंडालों सजाने के लिए आकर्षक कलाकृतियों को बनाने वाले आर्टिस्ट और नयनाभिराम दुर्ग प्रतिमाओं को बनाने वाले मूर्तिकारों का भी विशेष महत्व होता है, जो पर्दे के पीछे रहकर इस तोहर को चार चांद लगाते हैं। इस त्योहार को लेकर बंगाली समाज में उत्साह का माहोल है।
बंगाली समुदाय के लोगों द्वारा 8 अक्टूबर से शारदीय दुर्गोत्सव मनाया जाएगा। सेक्टर 6, हुडको, वैशाली नगर और हाउसिंग बोर्ड कालीबाड़ी में तैयारी दुर्गा पूजा को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है। समिति के लोगों द्वारा देर रात तक जागकर पंडालों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
आपको बता दें कि हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, यह त्योहार आकार बदलने वाले असुर, महिषासुर के खिलाफ अपनी लड़ाई में देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। इस प्रकार, त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बंगाली कल्चर के लोगों द्वारा शारदीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। भिलाई के कई क्षेत्रों में दुर्गा पूजा की तैयारी धूमधाम से की जा रही है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या शारोदोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। दुर्गा पूजा दस दिवसीय आयोजन है, जिसमें अंतिम पांच दिनों में कुछ अनुष्ठान और प्रथाएं शामिल होती हैं।
त्योहार की शुरुआत महालय से होती है, जिस दिन हिंदू अपने मृत पूर्वजों को पानी और भोजन देकर तर्पण करते हैं। त्योहार का अगला महत्वपूर्ण दिन छठा दिन षष्ठी है, जिस दिन भक्त देवी का स्वागत करते हैं और उत्सव समारोह का उद्घाटन किया जाता है।
सातवें दिन सप्तमी, आठवें दिन अष्टमी और नौवें दिन नवमी में लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी, सरस्वती ज्ञान और संगीत की देवी, गणेश अच्छी शुरुआत के देवता और कार्तिकेय युद्ध के देवता की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा पंडालों में दुर्गा की प्रतिमा महिसासुर का वध करते हुए बनाई जाती है। परंपराओं के अनुसार इन देवताओं को माँ दुर्गा की संतान माना जाता है। मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरुप को पूजा जाता है।
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