संस्कारों का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है, बिना इसके जीवन पशु के समान

श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के 27 वें स्थापना दिवस पर किए गए विविध आयोजन

संस्कारों का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है, बिना इसके जीवन पशु के समान

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। महाविद्यालय परिवार द्वारा दुर्ग जिले के ख्यातिलब्ध पशु-पक्षी संरक्षक तथा पर्यावरणविद कांतिभाई पारख को सम्मानित किया गया। माँ भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी ललीताम्बा मंदिर में माताजी का पूजन अर्चन श्री गंगाजली शिक्षण समिति के चेयरमेन आई.पी. मिश्रा एवं महाविद्यालय के समस्त शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों द्वारा किया गया। तत्पश्चात महाप्रसाद का वितरण किया गया। प्रेरणा शिक्षक संघ द्वारा गोद ग्राम खपरी के आंगनबाड़ी केन्द्र के बालक बालिकाओं का विद्या आरंभ संस्कार का आयोजन किया गया। रामकुंवर साहू एवं गोपाल प्रसाद सोनी गायत्री शक्तिपीठ संतराबाड़ी स्टेशन रोड दुर्ग के मार्गदर्शन में 28 बच्चों का विद्यारंभ संस्कार किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के डीन (अकादमिक) संरक्षक प्रेरणा शिक्षक संघ डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव, प्राचार्य एवं अध्यक्ष प्रेरणा शिक्षक संघ डॉ अर्चना झा, ग्राम खपरी के सरपंच हीरामन बंजारे, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती बीनू विश्वकर्मा के करकमलों सेस्लेट, कलम, खाद्यान्न का वितरण किया गया। संरक्षक डॉ. जे दुर्गा प्रसादराव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में 16 संस्कार किए जाते हैं जिसमें विद्यारंभ संस्कार अत्यंत ही महत्वपूर्ण संस्कार है। समय के साथ साथ हम इन संस्कारों को भूलते जा रहे हैं जिसे संरभित करना अत्यंत आवश्यक है। अध्यक्ष प्रेरणा शिक्षक संघ डॉ अर्चना झा ने कहा कि वेद मंत्रों के साथ जब बच्चों को संस्कारित किया जाता है तब वे समस्त विकारों से दूर सदमार्ग पर अग्रसर होते हैं। संस्कारों का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। अत: हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा आयु और समय के अनुसार अलग-अलग संस्कार बच्चों के दिए जाते हैं। ग्राम खपरी के सरपंच हीरामन बंजारे ने कहा कि बिना संस्कारों के जीवन पशु के समान है। अत: बच्चों को संस्कारवान बनाना अत्यंत आवश्यक है।