फर्जी हस्ताक्षर कर नगर निगम के अधिकारियों ने की 8 लाख रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा, तीन लोगों पर अपराध दर्ज

जबलपुर। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) इकाई जबलपुर द्वारा नगर निगम के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम जबलपुर के अधिकारियों द्वारा कचरा परिवहन में आर्थिक अनियमितताएं करने के संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा जांच की गई। इस दौरान 8 लाख से अधिक का अतिरिक्त भुगतान कर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की पुष्टि हुई है। मामले में EOW की ओर से विनोद श्रीवास्तव स्वास्थ्य अधिकारी, अनिल जैन सहायक स्वास्थ्य अधिकारी, हेमंत करसा अध्यक्ष, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सफाई कामगार सहकारी समिति को आरोपी बनाया गया है। मामला 2014 का है जब तत्कालीन स्वास्थ्य अधिकारी और सहायक स्वास्थ्य अधिकारी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सफाई कामगार सहकारी समिति के अध्यक्ष के साथ मिलकर लाखों रुपए का हेरफेर कर ड़ाला। 11 साल बाद जांच के दौरान आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
जबलपुर नगर निगम में 2014 में हुए कचरा घोटाले की जांच की और अखिरकार 16 मार्च 2025 को तत्कालीन स्वास्थ्य अधिकारी विनोद श्रीवास्तव, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी अनिल जैन, हेमंत करसा, अध्यक्ष, नेताजी सुभाषचंद्र बोस ,सफाई कामगार सहकारी समिति के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी एवं धारा 7 के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988( संशोधित अधिनियम) 2018 का अपराध पंजीबद्ध किया है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को मिली शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नगर निगम जबलपुर द्वारा वार्ड क्रमांक 08 में कराए गए कचरा परिवहन के लिए 14,70,228 रुपये का बिल विभाग में प्रस्तुत किया गया था। नोटशीट पर केवल 6,04,495 रुपये के भुगतान की अनुशंसा की गई थी। लेकिन, आरोपियों द्वारा अलग से एक टाइप की हुई नोटशीट प्रस्तुत कर 13,17,510 रुपये का भुगतान नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सफाई कामगार सहकारी समिति, रानीताल, जबलपुर को कर दिया गया। इस तरह 8,20,233 रुपये का अतिरिक्त भुगतान कर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। तत्कालीन स्वास्थ्य अधिकारी विनोद श्रीवास्तव और सहायक स्वास्थ्य अधिकारी अनिल जैन ने हेमंत करसा, अध्यक्ष, नेताजी सुभाषचंद्र बोस ,सफाई कामगार सहकारी समिति के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज तैयार करके 13 लाख 17 हजार याने की करीब 8 लाख 20 हजार रुपए का अतिरिक्त भुगतान ठेकेदार को कर दिया। बताया जा रहा है कि उस समय पुष्पेंद्र यादव ठेकेदार था,जिसे कि भुगतान किया गया था।