जेके लक्ष्मी सीमेंट मामले में बरी हुए ग्रामीण,10 साल बाद बेकसूर ग्रामीणों को मिला न्याय

हत्या का प्रयास, लूट, बलवा, डकैती सहित गंभीर धाराओं के तहत 8 प्रकरण और 13 केस सामान्य सहित कुल 21 प्रकरण दर्ज किए थे

जेके लक्ष्मी सीमेंट मामले में बरी हुए ग्रामीण,10 साल बाद बेकसूर ग्रामीणों को मिला न्याय

भिलाई। दुर्ग जिले में 10 साल पहले जेके लक्ष्मी सीमेंट फैक्ट्री में हुए अग्निकांड में सभी आरोपियों को न्यायालय ने बेकसूर पाते हुए बरी कर दिया है। इस अग्निकांड में 800 करोड़ रुपए के नुकसान का दावा किया गया था।

ज्ञात हो कि 4 अप्रैल 2013 को नंदनी थाना क्षेत्र के मलपुरी खुर्द स्थित फैक्ट्री के अंदर बड़ा हादसा हुआ था। कुछ उपद्रवियों ने फैक्ट्री के अंदर आग लगा दिया था। इसमें 40 से अधिक गाड़ियों को जला दिया गया था। जेके लक्ष्मी के तत्कालीन एमडी डीके मेहता ने इस घटना में 800 करोड़ रुपए के नुकसान का दावा किया था। अग्निकांड को रोकने के लिए जामुल, नंदनी, सुपेला, छावनी, पुलगांव, धमधा सहित 8 थानों से 200 जवानों का बल पहुंचा था। मामला इतना बड़ा हो गया था कि तत्कालीन कलेक्टर ब्रजेश मिश्रा, एसपी आनंद छाबड़ा ने खुद कमान संभाली थी। उनके निर्देश पर सीएसपी रबींद्र उपाध्याय सहित टीआई, विशाल सोम, बृजेश कुशवाहा, एसआर पठारे, एसआई पीपी अवधिया सहित अन्य अधिकारी पहुंचे थे। आगजनी में पुलिस वालों ने आरोप लगाया कि उपद्रवियों ने आग लगाने के साथ पुलिस अधिकारियों को मारा, उनके कपड़े फाड़े और उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में 52 लोगों के खिलाफ नामजद और 200 से अधिक के खिलाफ संदिग्ध के रूप में मामला दर्ज किया था। पुलिस ने हत्या का प्रयास, लूट, बलवा, डकैती सहित गंभीर धाराओं के तहत 8 प्रकरण और 13 केस सामान्य सहित कुल 21 प्रकरण दर्ज किए थे।

मजदूर के मौत को दबाने दबा दिया गया था 25 फीट नीचे

अधिवक्ता बीपी सिंह ने बताया कि फैक्ट्री के अंदर जो दंगा हुआ वो फैक्ट्री प्रबंधन की लापरवाही से हुआ था। दरअसल घटना से दो दिन पहले 2 अप्रैल 2013 को तरुण बंजारे नाम के एक युवक की फैक्ट्री में काम करते समय दुर्घटना में मौत हो गई। कंपनी के लोगों ने मामले को दबाने के लिए तरुण के शव को गड्ढा करके 25 फिट नीचे दफना दिया था। जैसे ही इसकी जानकारी ग्रामीणों को हुई वो लोग गुस्से में फैक्ट्री के अंदर घुस गए। इसके बाद मामला बढ़ता गया। मजदूरों का कहना है कि उनके द्वारा आग नहीं लगाई गई। आग बीमा का लाभ लेने के लिए फैक्ट्री के लोगों ने खुद लगाई थी। मजदूर की मौत के मामले में लेबर कोर्ट ने जेके लक्ष्मी सीमेंट फैक्ट्री के जिम्मेदारों को सजा भी दी है।