डब्ल्यूएचओ के कारण खराब हुई भारत की छवि

66 बच्चों की मौत के बाद जांच में सही पाई गई कफ सिरप

डब्ल्यूएचओ के कारण खराब हुई भारत की छवि

डब्ल्यूएचओ द्वारा बच्चों की मौत पर जल्दबाजी में कही गई थी भारत में बने कफ सिरप से लिंग की बात
फार्मा कंपनी में रुकवा दिया गया था सिरप का उत्पादन
नई दिल्ली (एजेंसी)। अफ्रीकी देश गाम्बिया में अक्टूबर में 66 बच्चों की मौत होने की वजह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में बनी कफ सिरप को बताया गया था। अब इस पूरे मामले की जांच की रिपोर्ट सामने आई है और भारत ने इन कफ सिरप को पूरी तरह से सही माना है और विश्व स्वास्थ्य संगठन पर हमला बोला है। भारत के ड्रग रेग्युलेटर डीसीजीआई यानी ड्रग्स कंट्रोल जनरल इंडिया की रिपोर्ट में इन कफ सिरप को स्टैंडर्ड क्वॉलिटी का बताया है। यही नहीं डीसीजीआई ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाम्बिया में बच्चों की मौत का कफ सिरप से लिंक होने की बात जल्दबाजी में कही थी। दोनों के बीच कोई कनेक्शन नहीं था। 
भारतीय रेग्युलटर ने अपने बयान में कहा कि भारत की फार्मा कंपनी मेडन फार्मा के के सैंपल की जांच की गई है। इसमें पाया गया कि कफ सिरप में कोई समस्या नहीं थी और वह पूरी तरह से सही थी। इसी कंपनी की कफ सिरप का गाम्बिया बच्चों की मौत से लिंक जोड़ा गया था, जो पूरी तरह से गलत है। डीसीजीआई के डायरेक्टर डॉ. वीजी सोमानी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के रेग्युलेशन डायरेक्टर डॉ. रोजेरियो गास्पर को लिखे खत में कहा कि अक्टूबर में आपकी ओर से जो बयान जारी किया गया था, वह गलत था और जल्दबाजी में दिया गया था। उन्होंने डब्ल्यूएचओ को लिखे पत्र में कहा कि आपके गलत निष्कर्ष के चलते दुनिया भर की मीडिया में भारतीय फार्मा सेक्टर के बारे में गलत जानकारी चली। 
इससे भारत के फार्मा सेक्टर के उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में भी गलत छवि बनी है। यही नहीं भारत की ओर से लिखे पत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन से सख्त भाषा में कहा गया कि आपने बच्चों की मौतों का कनेक्शन जल्दबाजी में कफ सिरप से निकाल लिया। वहीं एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि खुद गाम्बिया ने ही माना था कि बच्चों की मौत का कफ सिरप से कोई कनेक्शन साबित नहीं हुआ है। यहां तक कि गाम्बिया की अथॉरिटीज ने यह भी कहा था कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से कई ने तो कफ सिरप पी भी नहीं थी।