जमानत मिलने के बाद फौरन जेल से बाहर आएगा कैदी
चीफ जस्टिस ने लान्च किया फास्टर
नई दिल्ली(एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत, गिरफ्तारी पर रोक जैसे अहम आदेश जेल अधिकारियों और जांच एजेंसियों तक जल्द पहुंचाने के लिए नई व्यवस्था शुरू की है। इसका नाम रखा गया है ‘फास्ट एण्ड सिक्योर ट्रांसफर आॅफ इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स’ यानी फास्टर। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने आज अपने साथी जजों, देश के सभी हाई कोर्ट जजों और वरिष्ठ वकीलों की उपस्थिति में इसका उद्घाटन किया।
पिछले साल 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आगरा जेल में बंद 13 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया था। 14 से 22 साल से जेल में बंद यह सभी कैदी अपराध के समय नाबालिग थे। इस जानकारी के आधार पर ही कोर्ट ने उनकी तुरंत रिहाई का आदेश दिया था। लेकिन उनकी रिहाई में 4 दिन से भी ज़्यादा का समय लग गया। इस पर चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। 16 जुलाई को कोर्ट ने ऐसी सुरक्षित व्यवस्था बनाने का आदेश दिया जिससे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी हुआ आदेश तुरंत हाई कोर्ट, जिला कोर्ट और जेल प्रशासन तक पहुंचाया जा सके। मामले पर आदेश देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा था, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि सुप्रीम कोर्ट से किसी की रिहाई का आदेश जारी हो जाए, पर वह तुरंत जेल से बाहर न आ सके। अधिकारी कोर्ट के लिखित आदेश की प्रमाणित कॉपी की प्रतीक्षा करते रहते हैं। सूचना तकनीक के इस युग में हम अब भी आसमान की तरफ देखते हैं कि कोई कबूतर संदेश लेकर आए।
सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश अभी भी उसकी वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं. लेकिन अधिकारी आदेश की प्रमाणित प्रति पास पहुंचे बिना उस पर अमल नहीं करते. नई व्यवस्था में कोर्ट के आदेश की प्रमाणित कॉपी तुरंत संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी. ऐसा करते हुए इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि आदेश सुरक्षित तरीके से पहुंचे। उसे हैकिंग या किसी और तरीके से नुकसान न पहुंचाया जा सके। इसके लिए विशेष लॉग-इन का इस्तेमाल होगा। इसके लिए 1887 आईडी बनाई गई हैं. ईमेल के माध्यम से जिसे आदेश की सूचना भेजी जाएगी, वही उसे खोल सकेगा।