बेकुसुर को नक्सली बताकर डाल दिया जेल में, बिना अपराध 9 माह काटना पड़ा जेल, अब देना होगा 1 लाख का हर्जादा, पुलिस अधिकारी पर भी कार्रवाई के निर्देश
बिलासपुर: बिना अपराध 9 माह तक जेल की सजा काटने वाले सुकमा के ग्रामीण पोडियाम भीमा को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। मालूम हो कि सुकमा पुलिस ने सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान नक्सल प्रभावित मीनपा गांव से पोडियाम भीमा को इनामी नक्सली बताकर गिरफ्तार कर लिया था। बेकसूर भीमा पोडियम और ग्रामीण पुलिस को समझाने की कोशिश करते रहे कि वह नक्सली नहीं है लेकिन पुलिस के रिकॉर्ड में भीमा पोडियम नाम का एक नक्सली दर्ज था। थाने में लाकर उसकी पिटाई भी की गई और कबूल कराया गया कि वही नक्सली भीमा पोडियाम है। ग्रामीण करीब 9 माह तक जेल में सजा काटता रहा। इस बीच मार्च 2022 में असली पोडियम भीमा ने अपने अन्य साथियों के साथ दंतेवाड़ा कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद पुलिस के कान खड़े हुए क्योंकि उसका मानना था कि वह तो पहले ही पोडियम भीमा को गिरफ्तार कर जेल में डाल चुकी है। हाईकोर्ट में बीमा पोडियाम की ओर से अधिवक्ता बीचेम पोंदी और प्रवीण धुरंधर ने उपरोक्त तथ्य रखते हुए याचिका दायर की। कुछ महीने पहले इसकी सुनवाई हुई थी जिसमें हाईकोर्ट में तुरंत बेकसूर ग्रामीण को जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। अब इस मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने निर्दोष ग्रामीण बीमा पोडियाम को एक लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश सरकार को दिया है। साथ ही, उसकी गिरफ्तारी के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का आदेश जारी किया गया है।