94 टूटी प्रतिमाएं मिलना मंदिर होने का सबूत, ASI ने हाईकोर्ट की सौंपा 2000 पन्नों का रिपोर्ट
इंदौर। धार जिले में स्थित भोजशाला का सर्वे पूरा कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी दो हजार पेज की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच को सौंप दी है। अब 22 जुलाई को इस मसले पर सुनवाई होगी। इधर हिंदू पक्ष के वकील की ओर से दावा किया गया कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करता है कि यहां मंदिर था।
11वीं सदी में बने परिसर का विवाद नया नहीं है। हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है। मुस्लिम पक्ष कमाल मौला मस्जिद कहता है। हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को आदेश दिया था कि वह छह हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। हालांकि, रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई ने और वक्त मांगा। तीन बार समय बढ़ाया गया। चार जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिए थे कि 15 जुलाई तक अपनी पूरी रिपोर्ट सौंप दें।
बता दें कि एएसआई ने 22 मार्च को इस विवादित परिसर का सर्वे शुरू किया था। करीब तीन महीने यह सर्वे चला। दरअसल, पूरा विवाद एजेंसी के सात अप्रैल 2003 के आदेश को लेकर है। हिंदुओं और मुस्लिमों में विवाद बढ़ने पर एएसआई ने आदेश जारी कर परिसर में प्रवेश को सीमित किया था। आदेश के बाद 21 साल से हिंदू सिर्फ मंगलवार को भोजशाला में पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते हैं। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को चुनौती दी है।
एएसआई की रिपोर्ट की प्रतियां दोनों ही पक्षों को सौंपी जाएगी। कोर्ट ने दोनों ही पक्षों को सख्त निर्देश दिए हैं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न करें। एएसआई ने कार्बन डेटिंग, जीपीएस सहित अन्य तकनीक इस सर्वे में अपनाई है। भोजशाला के बड़े हिस्से में खुदाई भी की गई है। दावा किया गया है कि खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियों के अवशेष, धार्मिक चिह्न मिले हैं। अफसरों ने सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई है। सर्वे रिपोर्ट में खुदाई में मिले अवशेषों के फोटो भी प्रस्तुत किए गए।
वकील हरि शंकर जैन का कहना है कि आज बहुत खुशी का मौका है। हिंदू जनता सदियों से धार में पूजा करने के लिए तरस रही थी, जिसके लिए आंदोलन चलाए गए थे और पहली याचिका जो हिंदुओं की तरफ से मैंने दाखिल की थी, उसमें महत्वपूर्ण सफलता मिली है। ये बात रिपोर्ट में साबित हो गई, प्रमाणित हो गई है, कोई इसे काट नहीं सकता कि वहां पहले हिंदू मंदिर था। और वेद शास्त्र, संस्कृत, धार्मिक शिक्षा के पठन-पाठन का कार्य वहां होता था। और उस जगह पर केवल हिंदू पूजा ही हो सकती है। 7 अप्रैल 2003 को जो ASI ने आदेश दिया था, नमाज पढ़ने का, वो असंवैधानिक है। दूसरी बात, 94 से ज्यादा टूटी मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। वहां सारे खंभों पर वेद-शास्त्रों के चिन्ह मिले हैं, श्लोक लिखे मिलें हैं। पुरानी कलाकृतियां मिली हैं। और बहुसंख्या में इतनी सामग्री है,कि कोई भी देखकर कह देगा कि यह भव्य पाठशाला और मंदिर था। केवल हिंदू था।