बेगुनाह के खून से सनी खाकी, मुठभेड़ के नाम पर कारपेंटर की हत्या

पत्नी की गवाही से सामने आया सच

बेगुनाह के खून से सनी खाकी, मुठभेड़ के नाम पर कारपेंटर की हत्या

गाजियाबाद (एजेंसी)। फर्नीचर का काम करने वाले कारीगर की फर्जी मुठभेड़ मामले में दोषी पाए गए 9 पुलिस कर्मियों की सुनवाई सीबीआई के कोर्ट में हुई। ज्ञात हो कि इस मामले में 10 पुलिस कर्मी दोषी पाए गए थे लेकन एक की मौत हो गई है। घटना 18 अगस्त 2006 की है। 18 अगस्त 2006 दोपहर 3 बजे रिश्तेदारी में जाते समय राजाराम को उठाया गया था। 18 अगस्त 2006 रात पौने आठ बजे सुनहरा गांव के जंगल में गोली मारकर हत्या कर दी थी। 1 जून 2007 को हाईकोर्ट ने केस दर्ज कर सीबीआई जांच का आदेश दिया। 22 जून 2009 को सीबीआई कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। 4 दिसंबर 2015 को गवाही शुरू हुई, कुल 202 गवाह पेश किए सीबीआई ने।
राजाराम के खिलाफ किसी भी थाने में कोई केस दर्ज नहीं था। वह पुलिसवालों के घर भी फर्नीचर की मरम्मत का काम करता था। इसके बावजूद उसे लुटेरा बताकर मुठभेड़ में उसकी हत्या की। पुलिसवाले उसे पहचानते थे, फिर भी शव की शिनाख्त नहीं की और अज्ञात में दाह संस्कार किया। उसके परिजनों को उसके मर जाने की सूचना भी नहीं दी। कोर्ट में पुलिस न तो उसे लुटेरा साबित कर सकी और न ही मुठभेड़ को असली।
मृतक राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी ने सीबीआई कोर्ट को बताया कि पुलिस पति को उनके सामने उठाकर ले गई थी। इसके बाद फोरेंसिक जांच में पता चला कि राजाराम को गोली नजदीक से मारी   गई थी। पुलिस यह साबित नहीं कर सकी कि राजाराम ने भी गोली चलाई थी। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि संतोष पहले थाने गईं। वहां पुलिस ने तहरीर लेने से इनकार कर दिया। उनके साथ अभद्रता की। इस पर वह जिला अदालत में गईं। वहां अर्जी खारिज हो गई लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचीं। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीबीआई जांच के आदेश दिए।
 2007 में जांच शुरू कर सीबीआई ने 2009 में सिढपुरा के तत्कालीन थाना प्रभारी पवन कुमार सिंह सहित 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सुनवाई के दौरान आरोपी दरोगा अजंट सिंह की मृत्यु हो गई। नौ पुलिसकर्मी हत्या और साक्ष्य मिटाने के दोषी सिद्ध हुए। सीबीआई ने जांच में लिखा कि गवाह राजप्रताप सिंह ने देखा था कि राजाराम को सरकारी जीप से घुमारी रोड पर सुनहरा गांव के पास ले जा रहे थे। उस जीप को मोहकम सिंह चला रहा था। तत्कालीन उपनिरीक्षक अजंट सिंह ने 18 अगस्त को बनाई फर्द भी गलत साबित हुई थी।

 ये पुलिस कर्मी पाए गए दोषी
1 पवन सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष, थाना सिढपुरा, जनपद एटा, स्थाई पता ग्राम बदेहरी थाना छपार, जनपद मुजफ्फरनगर
2. श्रीपाल ठेनुआ, तत्कालीन उपनिरीक्षक, थाना सिढपुरा जनपद एटा, स्थाई निवासी ग्राम बदेहरी थाना छपार, जनपद मुजफ्फरनगर
3. सरनाम सिंह, तत्कालीन आरक्षी, थाना सिढपुरा, एटा, स्थाई निवासी करूणामयी नगरिया, थाना बेवर, मैनपुरी
4. राजेन्द्र प्रसाद तत्कालीन आरक्षी थाना सिढ़पुरा एटा, स्थाई निवासी डिनौली, थाना टूंडला फिरोजाबाद
5. मोहकम सिंह तत्कालीन सरकारी वाहन चालक थाना सिढ़पुरा, निवासी नंगला डला तहसील करहल, मैनपुरी
6.बलदेव प्रसाद, आरक्षी सिढ़पुरा थाना, निवासी कस्बा व थाना हरपालपुर, हरदोई
7.अवधेश रावत तत्कालीन आरक्षी सिढ़पुरा, निवासी ग्राम नंगला तेजा पोस्ट रिधौरी कटरा, थाना रूवेन, आगरा
8. अजय कुमार तत्कालीन आरक्षी सिढ़पुरा थाना, निवासी ग्राम धीप, थाना घिरौर मैनपुरी
09. सुमेर सिंह आरक्षी, सिढ़पुरा, निवासी नंगला तेजा पोस्ट रिधौरी कटरा थाना रूवेन, आगरा