चंद रुपए कमीशन के चलते नवजात के सिर से उठा मां का साया, मातम में बदली शादी के 5 साल बाद गूंजी किलकारी, इस मौत का जिम्मेदार कौन?

जिला हॉस्पिटल दुर्ग में निजी अस्पतालों के दलालों ने जमाया डेरा

मृतका सीमा साहू 

मृतका का पति बच्चे के साथ 

दुर्ग। मां आप मुझे जन्म देते ही कहां चली गई। चारों ओर आपको दिन - रात खोजता हूं, आप का दुलार चाहता हूं पर आप कहीं नहीं दिखती। 9 माह आप के गोद में रहा, सोचा था जन्म लेते ही आप को ढेर सारा प्यार दूंगा पर ...

ये दर्द भरी दास्तां उस नवजात शिशु की है जिसने जन्म लेते ही अपने मां को खो दिया। प्राइवेट एंबुलेंस के चालक ने चंद रुपए की कमीशन के लालच में डिलवरी के बाद गंभीर महिला को ऐसे अस्पताल में ले गया जहां 10 दिन में करीब 2.5 लाख रुपए नकद खर्च करने के बाद भी उसकी लाश अस्पताल से बाहर निकली। प्राइवेट एंबुलेंस के चालक ने मृतका के परिजनों से कहा था की उस निजी अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से इलाज होता है, पर भर्ती करने के बाद कहानी कुछ और थी। मजदूर पति ने अपनी पत्नी को बचाने अपने सगे संबंधियों से उधारी लेकर अस्पताल के करीब 2.5 लाख बिल पटाया। बड़ी शर्म की बात है कि उस प्राइवेट अस्पताल ने 5 रुपए में मिलने वाली सर्जिकल हैंड ग्लब्स का बिल भी नहीं छोड़ा। अब सवाल ये है कि एक नवजात शिशु के सिर से मां का साया उठ गया, आयुष्मान कार्ड भी काम नहीं आया, लालची लोगों के गलती की वजह से एक मां जिसने शादी के 5 साल के बाद पहले बच्चे को जन्म दिया और इस दुनिया से चल बसी। मायूस मजदूर पति कार्रवाई के लिए किसके पास जाए? सुनने वाला कोई नहीं। आखिर गुनहगारों को सजा कौन देगा ? 

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ दुर्ग जिले में पाटन के गांव कुम्हली में रहने वाले कुलेश्वर साहू की शादी मई 2019 में सीमा साहू से हुई थी। करीब 5 साल और लाखों मिन्नते के बाद जिला हॉस्पिटल दुर्ग में किलकारी गूंजी। सीमा साहू ने नार्मल डिलिवरी के बाद 28 मार्च 2024 को एक बालक को जन्म दिया। बच्चे की स्थिति खराब होने के कारण उसे रायपुर रिफर किया गया। कुलेश्वर साहू सरकारी एंबुलेंस से अपने दूध मुहे बच्चे को सरकारी एंबुलेंस से रायपुर ले गए जहां कुछ दिन इलाज के बाद बच्चा स्वस्थ होकर घर लौटा। वहीं सीमा साहू की स्थिति 31 मार्च को अचानक खराब हो गई। उसे भी रायपुर रिफर किया गया और सारा खेल यहीं से शुरू होता है। सरकारी एंबुलेंस नहीं होने के कारण सीमा साहू के परिजन काफी डर गए। कुलेश्वर साहू ने आजाद हिन्द टाइम्स को बताया कि इस दौरान एक निजी एंबुलेंस मिला। कमिशन के लालच में निजी एंबुलेंस के चालक ने ग्रामीण और चिंतित परिजनों अपने झांसे में लिया। परिजनों ने बताया कि पूरा शहर घूमने के बाद एंबुलेंस चालक ने सीमा साहू को दुर्ग के आर्य नगर स्थित गंगोत्री हॉस्पिटल में ले गए। गरीब परिजनों को चालक ने बताया था कि यहां आयुष्मान कार्ड से इलाज होता है, चिंता की कोई बात नहीं। मरीज को गंगोत्री हॉस्पिटल में छोड़ने के बाद चालक का काम खत्म क्योंकि उसका तो कमिशन फिक्स है। कुलेश्वर साहू ने बताया कि 31 मार्च को उनकी पत्नी सीमा साहू को गंगोत्री अस्पताल में भर्ती कराया गया और 10 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। इस दौरान करीब 2.50 लाख रुपए कैश इलाज के नाम खर्च हो गए। आयुष्मान कार्ड काम नहीं आया इसलिए नकद देना पड़ा। कुलेश्वर साहू ने बताया कि वे मजदूरी कर परिवार चलाते है। बड़ा रकम जुटाने उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पत्नी की इलाज के लिए कई लोगों से रुपए उधार लेकर गंगोत्री हॉस्पिटल का बिल पटाया। इसका पूरा रसीद भी नहीं दिया गया। हॉस्पिटल ने अठन्नी तक नहीं छोड़ा। 5 रुपए में मिलने वाला सर्जिकल दस्ताना भी बिल में जोड़ा गया है। मृतका सीमा साहू के पति और परिजनों से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कमीशन खोर एंबुलेंस चालकों और ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ने नोटिस जारी कर गंगोत्री हॉस्पिटल से जवाब मांगा है।

गंभीर स्थिति में आई थी महिला - डॉ. कराडे 

गंगोत्री हॉस्पिटल के डॉ. ओम प्रकाश कराडे ने बताया कि गंभीर स्थिति में सीमा साहू को भर्ती कराया गया था। उन्हें बचाने का हर संभव मदद किया गया। आयुष्मान कार्ड के संबंध में उन्होंने कहा कि गंगोत्री हॉस्पिटल में मेडिकल में इस कार्ड का लाभ मरीजों को मिलता है लेकिन सर्जरी में नहीं मिलता। अभी प्रोसेस जारी है। वहीं 2.50 लाख के रसीद के संबंध में उन्होंने बताया कि कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर में अपडेट के कारण मृतका के परिजनों को रसीद नहीं मिला होगा।