मेडिकल में आरक्षण को लेकर बवाल, आदिवासी समाज के युवाओं ने दर्ज कराई आपत्ति
रायपुर। मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के लिए बने आरक्षण रोस्टर पर बवाल खड़ा हो गया है। चिकित्सा शिक्षा संचालक ने इसके लिए अनुसूचित जाति को 16%, अनुसूचित जनजाति को 20 %, और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण के मान से रोस्टर बनाया है। आदिवासी समाज के कुछ युवाओं ने इस रोस्टर पर आपत्ति की है। वहीं उच्च न्यायालय में तीन अवमानना याचिकाएं दाखिल की गई है। सोमवार को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में इसकी सुनवाई हो सकती है। इससे पहले ही चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने अपने बनाये रोस्टर के मुताबिक आवंटन सूची जारी कर दिया है।
आदिवासी याचिकाकर्ताओं के विधिक सलाहकार बी.के. मनीष ने बताया, मेडीकल कोर्सेस में 16-20-14 रोस्टर लागू करने के मामले में उच्च न्यायालय में 31 अक्टूबर को दो गोंड अभ्यथिर्यों की रिट पिटीशन और अवमानना याचिका दायर की गई थी। दो नवंबर को एक अतिरिक्त अवमानना याचिका दायर की गई। इन याचिकाओं में प्राथर्ना की गई है कि चूंकि उच्च न्यायालय का फैसला आने से पहले ही मेडीकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी थी इसलिए कम से कम 2022 सत्र के लिए 12-32-14 का ही रोस्टर लागू किया जाए। अगर गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी मामले में आए फैसले को तत्काल लागू करना पड़े तो नियमत: पूरा आरक्षण शून्य हो जाना चाहिए। बताया गया, शुक्रवार सुबह मुख्य न्यायाधीश ने इन याचिकाओं को अर्जेंट मान लिया है। अदालत इस मामले को सोमवार को सुनेगी। गुरुवार को भी इस याचिका को मेंशन किया गया था, लेकिन अधिवक्ता को न्यायिक रजिस्ट्रार के पास भेज दिया गया। देर शाम तक यह तय हो पाया कि शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई नहीं हो पाएगी। इस बीच चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने आधी रात को मेडिकल प्रवेश की अलॉटमेंट लिस्ट जारी कर दी है।