जो हमें समय-श्वांस- संकल्प मिला है उसे परमात्मा की याद में रहकर सफल करना है- संतोष दीदी
दुर्ग। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आनंद सरोवर "बघेरा" में ब्रह्माकुमारीज़ की संयुक्त मुख्य प्रशासिका एवं महाराष्ट्र ज़ोन की संचालिका, समाज सेवा प्रभाग की अध्यक्ष संतोष दीदी,हेमलता दीदी (क्षेत्रिय निर्देशिका-इन्दौर ज़ोन ),उषा दीदी - (संचालिका उज्जैन क्षेत्र ) , भावना बहन- मुम्बई का शुभागमन हुआ ।
ब्रह्माकुमारी दुर्ग की संचालिका रीटा बहन ने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारी की दुर्ग की बगिया को महकाने व सभी आत्माओं की आत्मिक उत्थान के लिए आप सभी यहाँ पधारे हुए है सभी का परमात्म पिता व सभी भाई बहनों की ओर से दिल से स्वागत है।
संतोष दीदी ने अपने दिव्य उद्बोधन में बताया कि जैसे एक देश से दूसरे देश जाना होता है यहां का पैसा वहां नहीं चलता करेंसी चेंज करनी होती है वैसे ही जो आने वाली नयी सृष्टि जो है वो सम्पूर्ण सुख- शान्तिमय है तो हम सभी मनुष्य आत्माओं को वही संस्कार धारण करना है जो उस दुनिया में आवश्यक है यहाँ के जो संस्कार है उसे परिवर्तन करना है ।
हमें ऐसा कौन सा कर्म करना है जो नई दुनिया के लिए आवश्यक है निराकार परमपिता परमात्मा "शिव" अपने साकार माध्यम मनुष्य तन प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा हम सभी मनुष्य आत्माओं को यह शिक्षा दे रहे कि अपने मूल आत्मिक स्वरूप में स्थित हो जाओ तो जो मुझ परमात्मा के जो गुण है वही सभी गुण आपमें जागृत हो जायेगी । जो भगवान के गुण है उसे अभी अनुभव करने की आवश्यकता है जब अनुभव करेंगे तो भगवान की शक्ति स्वयंमें आती जायेगी और परमात्मा के गुण को स्वयं में धारण करना सहज हो जायेगा। जो हमें समय-श्वांस- संकल्प मिला है उसे परमात्मा की याद में रहकर सफल करना है । कर्मयोगी बनना है । घर गृहस्थ को छोड़ना भी नहीं है पल-पल हर कर्म में उसकी याद हो यह निरंतर अभ्यास करना है। यही परिवर्तन करना है । कहा जाता है सिमर-सिमर सुख पाओ जितना-जितना परमात्मा का सिमरण करते जायेंगे उतना सुख से भरपूर होते जायेंगे । जो जीवन की सत्यता है कि इस सृष्टि में हम श्रेष्ठ संस्कारों के अलावा अन्य कोई चीज़ नहीं लेकर आये थे तो पल-पल स्मृति में रखना है इस मेरे को तेरे में परिवर्तन करना है अर्थात् सब कुछ यहाँ का ही है परमात्मा द्वारा दिया हुआ उसे ट्रस्टी होकर संभालना है तो आसक्ति रहित जीवन में रहते जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करेंगे ।
इस अवसर पर कुमारी धारिणी ,चारू, मौसमी और जागृति की भिन्न-भिन्न गीतों पर भिन्न-भिन्न मनमोहक नृत्यों की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया । इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के छात्र पंकज कुमार ने सुमधुर गीत की प्रस्तुति दी । वरिष्ठ राजयोगी शिक्षिका ब्रह्माकुमारी रूपाली बहन ने अपनी काव्यमय मंच संचालन से इस आयोजन में चार चाँद लगा दिया।