छत्तीसगढ़ की पहचान मेडिकल ट्यूरिज्म के रूप में हो- मंत्री श्री जायसवाल

प्राकृतिक चिकित्सा दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए स्वास्थ्य मंत्री श्री जायसवाल

छत्तीसगढ़ की पहचान मेडिकल ट्यूरिज्म के रूप में हो- मंत्री श्री जायसवाल

दुर्ग। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल आज श्री महावीर प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय नगपुरा परिसर में आयोजित राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इससे पूर्व मंत्री श्री जायसवाल ने श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ का दर्शन एवं पूजा-अर्चना किया। दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर भी साथ मौजूद थे।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करने वाले यह संस्थान प्रदेश का पहला संस्थान है, जिसने पुरातन चिकित्सा पद्धति को पुर्नजिवित किया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति कोई नई विधा नहीं है। आज हमें अपनी पुरातन चिकित्सा पद्धति की ओर ही लौटना होगा। भारत ज्ञान-विज्ञान की खान है। विश्व गुरू के रूप में भारत ने हर क्षेत्र में विश्व को ज्ञान दिया है। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का भारत पुरातन काल से वाहक रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आने वाला समय योग और प्राकृतिक शिक्षा का ही होगा। इस चिकित्सा पद्धति का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा योगा एवं प्राकृतिक शिक्षा के 35 शिक्षकों के पद भरे गए है। आने वाले दिनों में इन पदों पर और भर्ती की जाएगी। क्रेंद्र सरकार द्वारा आन्ध्रा, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ इन तीन राज्यों में 100 बिस्तर प्राकृतिक चिकित्सा अस्पताल स्वीकृत किए गए है। मंत्री श्री जायसवाल ने छत्तीसगढ़ में मेडिकल ट्यूरिज्म पर जोर देते हुए प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को पर्यटन से भी जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को मेडिकल ट्यूरिज्म के रूप में पहचान मिले। उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर सभी को अपनी शुभकामनाएं दी। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक ललित चंद्राकर ने कहा कि नगपुरा के ऐतिहासिक धरा में संचालित इस प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय में हम सातवां प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मना रहे है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से देश की विश्व में पुरातन काल से पहचान रहीं है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि महाविद्यालय के प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का लाभ क्षेत्रवासियों को मिलता रहेे। महाविद्यालय के संचालक डॉ. आरके श्रीवास्तव ने अपने स्वागत उद्बोधन में महाविद्यालय की गतिविधियों को रेखांकित किया। प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. प्रेमलाल पटेल ने प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। इससे पूर्व अतिथियों ने भगवान धनवन्तरी, सरस्वती और छत्तीसगढ़ महतारी के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि श्री जायसवाल ने योगा एवं प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले तीन लोगों को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि और महाविद्यालय के प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।