संडे बाजार फिर बना जाम की वजह, जनहित संघर्ष समिति ने आंदोलन की दी चेतावनी

संडे बाजार फिर बना जाम की वजह, जनहित संघर्ष समिति ने आंदोलन की दी चेतावनी

भिलाई। बीच सड़क पर लगने वाले संडे बाजार को लेकर एक बार फिर हालात बिगड़ने लगे हैं। जनहित संघर्ष समिति के संयोजक शारदा गुप्ता ने कहा कि लंबे संघर्ष और प्रयास के बाद जिस संडे बाजार को सड़क से हटाया गया था, वही समस्या अब दोबारा जस की तस खड़ी हो गई है। शारदा गुप्ता ने बताया कि शराब दुकान और अव्यवस्थित संडे बाजार के कारण इस मार्ग पर रोजाना जाम की स्थिति बन रही है। 100 फीट चौड़ी सड़क संडे बाजार और अवैध पार्किंग के चलते महज 10 फीट में सिमट जाती है। रोज हजारों वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन सड़क पर चलने की जगह ही नहीं बचती।

उन्होंने कहा कि सुपेला चौक से लेकर राजेंद्र प्रसाद चौक तक जाम की स्थिति फिर आम हो गई है। संडे बाजार में आने वाले ग्राहक अपने वाहन सड़क पर ही खड़े कर देते हैं। फल-सब्जी के ठेले भी सड़क के बीच खड़े रहते हैं, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है। हालात यह हैं कि लोग रेंगते हुए निकलने को मजबूर हैं। शारदा गुप्ता ने कहा कि यह सड़क पटरी पार क्षेत्र के लोगों के लिए एकमात्र रास्ता है। इसी मार्ग से आईआईटी, रुंगटा कॉलेज जैसे महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थी आते-जाते हैं। संयंत्र कर्मी, ट्यूशन जाने वाले बच्चे और आम नागरिक इसी सड़क पर निर्भर हैं। वैकल्पिक मार्ग नहीं होने से लोगों की परेशानी और बढ़ गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि इसी सड़क पर शराब दुकान स्थित है, जिसके कारण महिलाओं का आना-जाना भी मुश्किल हो गया है। जनहित संघर्ष समिति की ओर से पहले इस रोड पर फ्लाईओवर की मांग की गई थी, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज करते हुए अंडर ब्रिज को प्राथमिकता दी। शारदा गुप्ता ने बताया कि पूर्व में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह के प्रयासों से संडे बाजार को व्यवस्थित किया गया था, लेकिन अब अतिक्रमणकारियों के हौसले फिर बुलंद हो गए हैं। उन्हें व्यवस्थित करने का साहस किसी में नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निकट भविष्य में स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जनहित संघर्ष समिति एक बार फिर जन आंदोलन करेगी। जल्द ही समिति के पदाधिकारी कलेक्टर और एसपी से मुलाकात कर जनता की समस्याओं से अवगत कराएंगे।

इस मौके पर जनहित संघर्ष समिति के संयोजक शारदा गुप्ता सहित बृजमोहन उपाध्याय, विनोद उपाध्याय, निशु पांडे, मदन सेन, विशालदीप नायर, आईपी मिश्रा, वशिष्ठ वर्मा, मृगेंद्र सिंह, हरिशंकर चतुर्वेदी, बंटी नाहर, निर्मल भारती, नरेश कन्हैया सोनी, विजय गुप्ता, अखिलेश वर्मा, जेपी घनघोरकर, संतोष जायसवाल, गुरनाम सिंह, सीपी सिंह, सुभाष शर्मा, प्रदीप पांडे, रमेश देशमुख, नेहरू साहू, छोटू पासवान, हरीशचंद्र भारती, शक्ति सिंह, टिंकू, संजय साहू, गिरीश दिलीप दामले, संतोष सोनी, अमोल साहू, अनिल सिंह, पीसी प्रसाद सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल रहे।