ईरान में क्रूरता की हदें पार, हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली 20 साल की महिला के चेहरे, गर्दन पर मारी गई गोली; मौत
तेहरान । ईरान में हिजाब की जबरदस्ती को लेकर महिलाएं सड़क पर उतर चुकी हैं। वहीं ईरानी सुरक्षाबलों की क्रूरता का एक और नमूना सामने आया है। यहां 20 साल की युवती हदीस नजफी की बेरहमी से हत्या कर दी गई। हदीस का एक वीडियो समाने आया था जिसमें वह प्रदर्शन में शामिल होने की तैयारी कर रही थीं। वह अपने खुले हुए बालों को बांध रही थीं । बता दें कि ईरान में विरोध प्रदर्शनों के दौरान अब तक कम से कम 57 लोगों की मौत हो चुकी है। हदीस नजफी के अंतिम संस्कार का वीडियो भी सामने आया है। उनकी तस्वीर के सामने लोग रो रहे थे। रिपोर्ट्स के मुतीबिक सुरक्षाबलों ने बड़ी क्रूरता से उनकी हतिया की। हदीस के पेट, गर्दन, सीने और हाथ और चेहरे पर गोली लगी थी। ईरान की एक पत्रकार ने ट्वीट किया, महसा अमीनी की हत्या के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तैयार हो रही था ये 20 साल की लड़की। इस्लामिक रिपब्लिक के सुरक्षा बलों ने इसके सीने, चेहरे और गर्दन पर गोली मारी। ईरान में विरोध प्रदर्शन के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हदीस के जो वीडियो सामने आए हैं उससे पता लगता है कि वह डांस की भी शौकीन थीं। मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि 21 सितंबर को उन्हें गोली मार दी गई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका। बीते दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें महिलाएं अपने हिजाब को उतारकर आग में झोंक रही थीं। ईरान में यह विरोध 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद उभरा है। हिजाब की ही वजह से उनको सुरक्षाबलो ने हिरासत में ले लिया था और कस्टडी में ही महसा ने दम तोड़ दिया। अब यह प्रदर्शन केवल ईरान का ही नहीं बल्कि ग्लोबल हो चुका है। लंदन में भी लोगों ने महसा अमीनी की मौत को लेकर ईरान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। 16 सितंबर को अमीनी की मौत हुई थी।
मेडिकल रिपोर्ट में सामने आया था कि महसा अमीनी को हिरासत के दौरान मारा पीटा गया। उनके सिर पर चोट के निशान थे। इसी वजह से वह कोमा में चली गई थीं। हालांकि ईरान प्रशासन का कहना है कि महसा को अचनाक हार्ट अटैक आ गया था। बता दें कि 1779 में इस्लामिक रिवोल्यूशन के बाद महिलाओं कि हिजबा पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। वहीं ईरान की महिलाएं कई बार हिजाब को ढीला करके पहनती थीं जिस वजह से वह कई बार कान के पास या गर्दन पर आ जाता था। 1981 में कानून बनाया गया तब भी बड़े प्रदर्शन हुए थे। यूके की सरकार ने भी ईरान की महसा अमीनी की मौत को लेकर निंदा की है। हालांकि इस बात की आलोचना हो रही है कि हाल ही में न्यूयॉर्क में यूएन की बैठक के दौरान ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की आलोचना क्यों नहीं की गई।