छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण का विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट 

छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण का विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण काे रिवर्ट करने का विवाद सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। सामाजिक कार्यकर्ता बीके मनीष ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की है। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने इस फाइल को अपने पास रख लिया है। बताया जा रहा है, इस पर तत्काल सुनवाई के संबंध में वे शुक्रवार आदेश पारित कर सकते हैं।

याचिकाकर्ता बीके मनीष ने बताया, छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सिविल सेवा के सफल अभ्यर्थियों की सूची 30 सितंबर को जारी होने की संभावना को देखते हुए अर्जेंट हियरिंग का आवेदन किया गया है। अगर मुख्य न्यायाधीश उनके आवेदन से सहमत हुए तो जल्दी ही इसको सुनवाई के लिए लिस्ट करने का आदेश जारी कर सकते हैं। इस मामले में आदिवासी समाज के नेता योगेश ठाकुर और जांजगीर-चांपा जिला पंचायत की सदस्य विद्या सिदार की ओर से भी दो याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल होने जा रही हैं। 
बिलासपुर उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर को अपने फैसले में छत्तीसगढ़ के 58% आरक्षण को असंवैधानिक बता दिया था। उसके साथ ही अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 32% से घटकर 20% हो गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से बढ़कर 16% हो गया। यही नहीं इस फैसले से सरगुजा संभाग में जिला कॉडर का आरक्षण भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। स्कूल-कॉलेजों में आरक्षण पूरी तरह खत्म हो गया है।