कैंसर-डायबिटीज जैसी बीमारियों की दवाएं 70% तक होंगी सस्ती, 15 अगस्त को सरकार कर सकती है घोषणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार कैंसर, मधुमेह और हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में जरूरी दवाओं की कीमतों में कमी की घोषणा कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए सरकार ने कुछ प्रस्ताव तैयार किए हैं, लेकिन घोषणा को लेकर अभी अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। अधिकारियों ने कहा कि केंद्र कुछ महत्वपूर्ण दवाओं की ऊंची कीमतों को लेकर चिंतित है और उन्हें नियंत्रित करने का इच्छुक है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने कहा, 'प्रस्ताव पारित होने के बाद कीमतों में 70 फीसदी तक की कटौती की जाएगी। केंद्र आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम), 2015 को संशोधित करने के लिए भी काम कर रहा है, ताकि उन दवाओं को शामिल किया जा सके जो वर्तमान में व्यापक प्रचलन में हैं।''
केंद्र सरकार लंबी अवधि के लिए रोगियों द्वारा उपयोग की जाने वाली दवाओं पर उच्च-व्यापार मार्जिन को सीमित करने पर भी विचार कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने अंतिम प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 26 जुलाई को फार्मा उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ दवाओं पर व्यापार मार्जिन 1000% से अधिक है।
60% मरीज अभी भी दवाइयों के लिए भुगतान करने को मजबूर
दवा मूल्य नियामक एनपीपीए वर्तमान में 355 से अधिक दवाओं की कीमतों को सीमित करता है जो आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) का हिस्सा हैं और दवा मूल्य नियंत्रण आदेश के तहत अधिसूचित हैं। ऐसी अनुसूचित दवाओं पर व्यापार मार्जिन भी थोक विक्रेताओं के लिए 8% और खुदरा विक्रेताओं के लिए 16% पर विनियमित होता है। इन दवाओं के सभी निर्माताओं को अपने उत्पाद को अधिकतम कीमत के बराबर या उससे कम पर बेचना होता है। हालांकि, कंपनियां जो सरकार के प्रत्यक्ष मूल्य नियंत्रण से बाहर हैं अन्य सभी दवाओं के लिए कीमत तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। वे ऐसी दवाओं की कीमत केवल 10% सालाना बढ़ा सकती हैं। अक्सर ऐसी दवाओं पर व्यापार मार्जिन अत्यधिक अधिक होता है और रोगियों को प्रभावित करता है।