43 साल पुराने हत्याकांड में लापरवाही पड़ी भारी, कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को हिरासत में लिया
पटना। बिहार के रोहतास जिले में व्यवहार न्यायालय (ADJ Court) ने प्रभारी पुलिस अधीक्षक (SP) को हिरासत में लिया। कोर्ट में एक मर्डर केस में पैरवी के दौरान पेशी के लिए आए प्रभारी एसपी को हिरासत में लिए जाने पर पुलिस-प्रशासन में खलबली मच गई।
दरअसल हत्या के 43 साल पुराने मामले में कोर्ट ने आरोपी की गिरफ्तार, और गिरफ्तारी नहीं होने पर कुर्की-जब्ती का आदेश दिया था। साथ ही की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा था। लेकिन कोर्ट में पुलिस की ओर से तामिला प्रतिवेदन (कार्रवाई रिपोर्ट) पेश नहीं की गई। एडीजे कोर्ट में आज गुरुवार को मामले की सुनवाई थी। एसपी आशीष भारती अवकाश पर थे। ऐसे में प्रभारी एसपी सरोज कुमार साह अदालत में पेश हुए। केस में तामिला प्रतिवेदन न होने पर कोर्ट ने उन्हें पांच घंटे तक न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दे दिया।बाद में एसपी की पेशी के लिए दिए गए एप्लीकेशन पर कोर्ट ने विचार किया फिर शाम तीन बजे उन्हें बाहर जाने की अनुमति दी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 24 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है। साथ ही इस तारीख 24 अक्टूबर को एसपी को हर-हाल में अदालत में पेश होने का आदेश दिया।
ये है मामला
रोहतास जिले के नसारीगंज थाना क्षेत्र के अतमीगंज गांव में 1979 में रामानुज सिंह उर्फ छेदी सिंह की कुछ लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में 18 सितंबर 1979 को छह नामजद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। तब से कोर्ट में मामला चल रहा है। सुनवाई के दौरान हत्या के मामले चार नामजद आरोपियों की मौत हो गई। मामले की सुनवाई में दो आरोपियों लक्ष्मी नारायण मास्टर और राम निवास सिंह की पेशी अदालत में लंबित है। दोनों आरोपियों को पुलिस न तो गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर सकी और ना ही कोर्ट की ओर से जारी कुर्की-जब्ती पर कोई अमल हो सका।
इस केस की निगरानी पटना हाई कोर्ट कर रहा था। हाई कोर्ट ने इसी साल 7 अप्रैल को सत्र अदालत के लिए आदेश किया था कि वो इस मामले को तीन महीने के अंदर समाप्त करे। प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) सासाराम मनोज कुमार की निचली अदालत ने दोनों आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। लेकिन पुलिस ऐसा करने में नाकाम रही।