हड़तालरत कर्मचारियों पर छत्तीसगढ़ सरकार ने लगाया एस्मा
रायपुर। संविदा कर्मचारियों की हड़ताल पर छत्तीसगढ़ सरकार ने एस्मा लगा दिया है। राज्य के 53 विभागों के संविदा कर्मचारी नियमितीकरण की मांग को लेकर 3 जुलाई से अनश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कर्मचारी नवा रायपुर के तूता स्थित धरना स्थल पर प्रदेश के संविदा कर्मचारियों प्रदर्शन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी का कहना है कि हम कोई नई मांग नहीं कर रहे हैं। वही नियमितीकरण की मांग रहे हैं जो कांग्रेस ने खुद देने का वादा किया था।
एस्मा (ESMA) यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट। इसे हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है। यह केंद्रीय कानून है जो 1968 में लागू किया गया था। हालांकि इस कानून को लागू करने के लिए राज्य सरकारों को भी छूट दी गई थी। इस एक्ट में 9 धाराएं हैं। जब कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं और हड़ताल लंबी चलने की वजह से आवश्यक सेवाओं एवं वस्तुओं की आपूर्ति यदि बाधित हो जाती है। तब सरकारे एस्मा का सहारा लेती है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्र या दूसरे माध्यमों से सूचित किया जाता है। इसके अलावा एस्मा लागू होने के बाद भी यदि कर्मचारी हड़ताल पर होते हैं तो उसे अवैध मानकर सरकार एस्मा एक्ट के तहत कार्यवाही कर सकती है।
इसके लगने के बाद भी हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को 6 माह कारावास या 200 रुपये अर्थदंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है। हड़ताली कर्मियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को किसी भी तरह की वारंट की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा हड़ताल के लिए उकसाने वाले कर्मचारी नेताओं को इससे दोगुनी सजा अर्थात 1 साल की सजा व 1 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया जा सकता है। और हड़ताल को वित्त पोषित करने वालों को 1 साल के कारावास के अलावा 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इस एक्ट के लागू होने के बाद औद्योगिक विवाद अधिनियम, कंपनी कानून, कर्मचारी हितैषी कानून स्वमेव निरस्त हो जाते हैं। ऐसा कानून सारे कानूनों से ऊपर है। सरकार यह एक्ट जब चाहे तब वापस ले सकती है। किस अवधि तक के लिए एस्मा लगाया जाए यह सरकार तय करती हैं। फिलहाल पटवारियों के हड़ताल के चलते 3 माह के लिए एस्मा लगाया गया है।