ज्येष्ठ पूर्णिमा पर 22 जून को 108 मटकों के जल से प्रभु जगन्नाथ का होगा जलाभिषेक, फिर पड़ जाएंगे बीमार

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर 22 जून को 108 मटकों के जल से प्रभु जगन्नाथ का होगा जलाभिषेक, फिर पड़ जाएंगे बीमार

पुरी। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान और भक्त के भावपूर्ण रिश्ते की आत्मीयता साक्षात देखने को मिलेगी। अस्सी घाट स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को जेठ मास की तपिश से निजात दिलाने के लिए गंगाजल से स्नान कराया जाएगा। भगवान जगन्नाथ भक्तों के प्रेम में जलाभिषेक के बाद बीमार हो जाएंगे।

काशी के लक्खा मेले में शुमार रथयात्रा मेले की शुरुआत भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के गंगा स्नान से होगी। अस्सी घाट पर 22 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भक्त भगवान को गर्मी की तपिश से राहत दिलाने के लिए गंगाजल से स्नान कराएंगे। सुबह से शाम तक भक्तों के स्नान के कारण भगवान की तबीयत बिगड़ जाएगी और रथयात्रा के परंपरागत लोकाचारों के अनुपालन में वह 15 दिनों के विश्राम पर जाएंगे। प्रभु जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को मंदिर के गर्भगृह की छत पर उत्तर पूर्व स्थित स्नान वेदी पर विराजमान कराया जाएगा।

सूर्योदय के साथ तीनों विग्रहों का सविधि पूजन-अर्चन होगा। आरती के बाद पंच पल्लव मिश्रित गंगा जल के 108 मटकों से स्नान होगा। इसके बाद भक्त प्रभु को स्नान कराएंगे और स्नान करते-करते रात तक प्रभु बीमार हो जाएंगे। उसके बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए भगवान 15 दिनों तक आराम करेंगे। 5 जुलाई तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। इसके बाद श्वेत वस्त्र में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र भक्तों को दर्शन देंगे।

प्रभु के प्रकट होने पर मंगला आरती स्तुति, भजन के साथ ही श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ होगा। इसके बाद आठ बजे नैवेद्य स्वरूप परवल का रस दिया जाएगा। 6 जुलाई को भगवान के विग्रहों को डोली में विराजमान कर यात्रा निकाली जाएगी। डोली यात्रा गाजे-बाजे के साथ अस्सी से निकलकर दुर्गाकुंड, नवाबगंज, राममंदिर, कश्मीरीगंज, खोजवां, शुंकुलधारा, बैजनत्था, कमच्छा से पंडित बेनीराम बाग, शापुरी भवन के लिए प्रस्थान करेगी। इसके साथ ही 7 से 9 जुलाई तक तीन दिवसीय रथयात्रा मेला भी शुरू हो जाएगा।