कोरोना-मंकीपाक्स के बाद मारबुर्ग वायरस ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की चिंता

डब्ल्यूएचओ ने बताया मृत्यु दर 80 फीसदी से अधिक

कोरोना-मंकीपाक्स के बाद मारबुर्ग वायरस ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की चिंता

नई दिल्ली(एजेंसी)। विश्व भर में कोरोना वायरस महामारी के बाद दुनिया के कई देशों में मंकीपाक्स का खतरा अब भी बरकरार है। हाल के दिनों में कई देशों में मंकीपाक्स के मामलों में बढोत्तरी भी दर्ज की गई है। लेकिन अब कोरोना और मंकीपाक्स के साथ ही एक नए और बेहद खतरनाक वायरस ने दुनिया की चिंता बढा दी है। इस नए वायरस का नाम है, मारबुर्ग। हालांकि राहत की बात यह है कि इस वायरस के मामले अभी कुछ अफीक्री देशों में ही आए हैं। रक्तस्रावी बुखार के वायरस मारबुर्ग को दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस माना जाता है। इस वायरस के बारे में कहा जाता है कि यदि इसकी चपेट में कोई आ गया तो उसकी मौत निश्चित है।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, यह वायरस कोरोना और मंकीपाक्स की तुलना में कई गुना तक अधिक खतरनाक है। अब तक सामने आए मामलों के आधार पर मारबुर्ग वायरस से होने वाली मृत्यु दर 80 फीसदी से अधिक तक है।
घाना से पहले सितंबर 2021 में गिनी में मारबुर्ग वायरस का एक मामला सामने आया था। अब तक कॉन्गो, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में भी मारबुर्ग वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। मारबुर्ग वायरस से लड़ने के लिए फिलहाल कोई दवा या टीका नहीं बना है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मारबुर्ग, इबोला जितना खतरनाक वायरस है। वायरस से संक्रमित होने पर इंसान को तेज बुखार, डायरिया, उल्टी और सिरदर्द होने लगता है। इस वायरस पर लगातार अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि मारबुर्ग वायरस चमगादड़ों समेत अन्य जानवरों से इंसान में फैल सकता है। 
इसके बाद लार या छींक के जरिए यह बाकी लोगों तक पहुंच सकता है। घाना में कई मामलें सामने आने के बाद वहां के स्वास्थ्य विभाग ने एक दिशानिर्देश जारी करते हुए लोगों को सलाह दिया कि वे चमगादड़ों की गुफाओं से दूर रहें और खाने से पहले हर किस्म के मांस को बहुत अच्छी तरह धुलकर अच्छी तरह पकाएं।


कैसे हुआ नामकरण
साल 1967 में सबसे पहले इस वायरस का पता  जर्मनी के मारबुर्ग शहर में चला, उसी आधार पर इसे मारबुर्ग वायरस कहा जाता है। अफ्रीका से लाए गए कुछ ग्रीन बंदरों से यह वायरस शहर में फैला। लेकिन कुछ ही समय के भीतर यह खतरनाक वायरस जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट और बेलग्रेड तक पहुंच गया। साल 1988 से अब तक इस वायरस से पीड़ित अधिकांश रोगियों को बचाया नहीं जा सका है।

इसलिए रहना चाहिए चौकन्ना
करीब तीन करोड़ की जनसंख्या वाला पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना कई देशों से मजबूती से जुड़ा है। देश की राजधानी अक्रा तक दुनिया भर की 35 इंटरनेशनल एयरलाइनें पहुंचती हैं। ये विमान सेवाएं घाना को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, यूनाईटेड अरब अमीरात, कतर, सिंगापुर और आॅस्ट्रेलिया समेत कई अफ्रीकी देशों से भी जोड़ती हैं। इसलिए घाना से फैलकर वैश्विक स्तर पर इस वायरस की एंट्री हो सकती है,जिससे दुनिया की मुश्किलें बढ सकती है।