प्रधानमंत्री मणिपुर को हिन्दुस्तान नहीं मानते, लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बोले राहुल गांधी

प्रधानमंत्री मणिपुर को हिन्दुस्तान नहीं मानते, लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बोले राहुल गांधी

नई दिल्ली (एजेंसी)। कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार से ही चर्चा शुरू हो गई है। आज बुधवार को राहुल गांधी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर भाषण दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर को हिंदुस्तान नहीं मानते हैं। आपने इसे बांट दिया है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में महिलाओं और बच्चों से बात की। मैं मणिपुर गया लेकिन प्रधानमंत्री नहीं गए। आज चर्चा का दूसरा दिन है। गुरुवार को चर्चा के बाद प्रधानमंत्री मोदी भी जवाब दे सकते हैं। 
राहुल गांधी ने कहा कि कोई कहता है यह धर्म है, यह सोना है चांदी है। यह जमीन है। लेकिन भाइयों और बहनों सच्चाई है कि यह देश एक आवाज है। यह देश के लेगों को दुख है , दर्द है और कठिनाई है। अगर हमें यह आवाज सुननी हैतो हमारे दिल में जो अहंकार हैं, जो हमारे सपने हैं उन्हें परे करना पड़ेगा। जब हमें अपने सपनों को दूर करते हैं तबहमें हिंदुस्तान की आवाज सुनाई देती है। आप कहेंगे कि अविश्वास प्रस्ताव में यह बात क्यों कही। इसका क्या मतलब है। क्योंकि भाइयों और बहनों भारत एक आवाज है। भारत इस देश के सब लोगों की आवाज है। और अगर हम उसे सुनना चाहते हैं तो हमें अहंकार और नफरत को मिटाना पड़ेगा। 
राहुल गांधी ने कहा, एक किसान आया और हाथ में उंगली पकड़ी और मेरी आंख मे ंदेखकर उसने रूई का बंडल दिया और कहा कि राहुल जी यही बचा है मेरे खेत का। और कुछ बचा नहीं है। मैंने उससे पूछा कि आपको ये वाला पैसा मिला। किसान ने कहा, नहीं राहुल जी मुझे बीमा का पैसा नहीं मिला। हिंदुस्तान के बड़े उद्योगपतियों ने मुझसे छीन लिया। मगर इस बार बड़ी अजीब सी बात हुई। किसान के दिल में जो दर्द था, वह दिखा। उसकी भूख मुझे समझ आई। उसके बाद यात्रा बिल्कुल बदल गई। मुझे भीड़ की आवाज नहीं सुना ई देती थी मुझे सिर्फ उस व्यक्ति की आवाज सुनाई देती थी जो मेरे साथ अपना दुख बांटता था। उसकी चोट मेरा दर्द बन गई।
यात्रा के दौरान बहुत से लोगों ने मेरे से पूछा कि आप कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा क्यों कर रहे हो, शुरू में मुझे भी जवाब मालूम नहीं था। लेकिन, थोड़े दिनों में मुझे बात समझ में आने लगी। सालों से मैं 8-10 किलोमीटर दौड़ता हूं तो मुझे लगा कि 25 किलोमीटर चलना मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं है। ये मेरे अंदर अहंकार था, लेकिन भारत अहंकार को तुरंत मिटा देता है। पहले दो-तीन दिनों में ही घुटने के दर्द से मेरा अहंकार खत्म हो गया। जो हिन्दुस्तान को अहंकार से देखने निकला था, उसे रोज लगने लगा कि मैं कल चल पाऊंगा कि नहीं। हिंदुस्तान को जो मैं अहंकार से देखने निकला था वह गायब हो गया। मैं रोज डर डरकर चलता था कि क्या मैं कल चल पाऊंगा। लाखों लोगों ने मेरे साथ शक्ति मिलाई। शुरुआत में किसान आता था और मैं उसको अपनी बात बता देता था। मैंने जब भारत जोड़ो यात्रा शुरू की तो मुझे भी नहीं पता था कि यह किस लिए है। जिस चीज के लिए मैं मोदी जी की जेलों में जाने को तैयार हूं। गाली खाई है वह चीज आखिर है क्या। मेरे दिमाग में था कि अगर में 10 किलमीटर दौड़ सकता हूं। मेरे दिल में उस समय अहंकार था। दो तीन दिन में मुझे जबरदस्त दर्द शुरू हो गया। हर कदम पर दर्द हुआ। पहले दो तीन दिनोें में जो अहंकार था वह खत्म हो गया।