15 अगस्त को किया जायेगा ‘रक्षा’ के बच्चों का नामकरण
मैत्री बाग में सफेद बाघों की कुल संख्या 9 हो गई है
भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्री बाग जू भिलाई में हाल ही अप्रैल माह में जन्में सफेद बाघिन ‘ रक्षा ’ के तीन सफेद षावकों का नामकरण आगामी 15 अगस्त, 2023 को किया जायेगा। नामकरण के बाद अगस्त अंत में ही इन्हें आम जनता के समक्ष लाया जायेगा। संयंत्र के मैत्रीबाग प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार इन षावकों को 4 माह तक आम जनता और बाहरी परिवेष से दूर माँ रक्षा की देखरेख में रखा जायेगा।
भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित भिलाई मैत्री बाग हमें, विभिन्न इंटरैक्टिव प्रदर्शनियों और सूचनात्मक प्रदर्शनों एवं आगंतुकों को वन्यजीव संरक्षण के महत्व के बारे में जानकारी के माध्यम से जैव विविधता के संरक्षण में सहयोग के लिए प्रोत्साहित करता है। इनसे सम्बंधित जागरूकता और ज्ञान फैलाकर, हम एक ऐसा भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं जहां ये आकर्षक जीव पनपते रहें। प्रकृति की सुंदरता हमारे चारों ओर मौजूद है, जो सिर्फ खोजे जाने की प्रतीक्षा कर रही है। रंग-बिरंगे फूलों वाला हरा-भरा बगीचा भिलाई मैत्री बाग भिलाई के सबसे मनोरम स्थानों में से एक है। यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। खिलते फूलों की मनमोहक खुशबू आपके चारों ओर लिपट जाती है, मानो उनकी दुनिया में आपका स्वागत कर रही हो।
मैत्रीबाग में लगभग 1 साल बाद वास्तव में कुछ असाधारण हुआ है। हमारे बहुमूल्य सफेद बाघों में से एक ने, एक नहीं बल्कि 3 प्यारे शावकों को जन्म दिया है। छह वर्षीय सफेद बाघिन ‘ रक्षा ’ ने 28 अप्रैल, 2023 को 03 नन्हे शावकों को जन्म दिया। उनके पिता 'सुल्तानÓ भी एक सफेद बाघ हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ, भिलाई मैत्री बाग प्रभारी एवं उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ. एन के जैन ने बातचीत के दौरान बताया कि इन शानदार प्राणियों को करीब से देखना और जन्म से वयस्क होने तक की उनकी यात्रा को देखना सौभाग्य और रोमांच की बात है। मौजूदा समय में शावकों के नए जन्म के साथ मैत्री बाग में सफेद बाघों की कुल संख्या 9 हो गई है। जन्म के 4 महीने बाद ही शावकों को पर्यटकों के देखने के लिए रखा जायेगा। इन शावकों का नामकरण 15 अगस्त, 2023 को स्वतंत्रता दिवस पर संभावित है। पशु चिकित्सा मानदंडों के अनुसार, स्तनपान और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए शावकों को मां के साथ एक अंधेरे कमरे में रखा गया है। एक दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति राजसी सफेद बाघ और उनके नन्हें शावकों अपने आकर्षक धारियों, सफेद रंग और चमकदार नीली आंखों के साथ बहुत ही प्यारे लग रहे थे। मनमोहक शावकों को आरामदायक मांद में अठखेलियां करते देख अत्यंत हर्ष होता है। अपने मुलायम पंजों के साथ वे चंचलतापूर्वक अपने आस-पास के हर कोने की खोज करते हैं। ऐसे आकर्षक जीव के समक्ष आना, ना केवल हमारे दिलों को जोश और उत्साह से भर देता है, बल्कि इन असाधारण प्रजातियों की सुरक्षा और संरक्षण के महत्व की भी याद दिलाता है।
युवा शावकों की देखभाल करते समय बाघिन माँ अत्यधिक सतर्क और गुप्त रहना पसंद करती है, इसलिए गुफा जैसा माहौल बनाने, घूमने और पर्याप्त जगह बनाने के लिए बाघिन और नन्हे शावकों को नियंत्रित प्रकाश व्यवस्था के साथ एक अलग बाड़े में रखा गया है। बाघिनें जन्म के बाद, पहले कुछ दिनों तक अपने शावकों की देखभाल में लगभग अपना 70 प्रतिषत समय व्यतीत करती है। बाघिन माँ नियमित रूप से शावकों को केवल थोड़े समय के लिए खाने-पीने के लिए छोड़ती है और प्रशिक्षण भी देना शुरू कर दिया है, जिससे शावक लगभग 4 माह बाद पूर्ण रूप से मांस खाना सीख जाएंगे। शावक अपना समय भाई-बहनों के साथ खेलने, उछल-कूद करने में बिताते हैं, जिससे शावकों को उनके अनुकूल, उपयोगी जीवनशैली हेतु कौशल विकसित करने में मदद मिलती है। मैत्री बाग की एक प्रशिक्षित टीम चैबीसों घंटे मां और शावकों पर नजर रखे हुए है और उनकी देखभाल में लगे हुए हैं। इस बीच यह सुनिश्चित किया गया है कि उनके आसपास कोई अशांति या अव्यवस्था ना हो।
शावकों के पर्याप्त पोषण और स्वस्थ विकास और बेहतर दूध देने को सुनिश्चित करने के लिए माँ को भरपूर पानी, विशेष विटामिन और कैल्शियम युक्त स्वस्थ पुष्टिवर्धक भोजन दिए जा रहे हैं। लगभग साढ़े तीन महीने की गर्भावस्था अवधि के दौरान, बाघिन रक्षा को उसके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए पशु चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा नियमित रूप से प्रशासित किया जा रहा था। बाघ के बच्चे तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। गर्मी के मौसम को देखते हुए माँ और शावकों को बढ़ती गर्मी से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। मां और शावकों को ठंडा करने के लिए बाड़े के अंदर कृत्रिम फव्वारा और कूलिंग स्ट्रॉ मैट लगाए गए थे। मानसून की शुरुआत के साथ शावकों को नमी-जनित त्वचा संबंधी संक्रमणों से बचाने के लिए पूरी तरह से सफाई प्रक्रियाएं भी लागू की गई है।
1997 में सफेद बाघ के एक जोड़े-तरुण और तापसी को पहली बार पड़ोसी राज्य ओडिशा के नंदन-कानन चिडिय़ाघर भुनेश्वर से मैत्री बाग स्थानांतरित किया गया था, जिसने 1999 में 4 सफेद बाघ शावकों को जन्म दिया था। मैत्री बाग, जानवरों के बेहतर देखभाल के साथ बाघों के संरक्षण और प्रजनन में सक्रिय रूप से शामिल है। अनुकूल वातावरण के कारण यहां सफेद बाघ का वंश लागातार बढ़ रहा है। पूर्व में मैत्री बाग में 12 से भी अधिक सफेद बाघों का प्रजनन कराया गया है और उक्त प्रजनन क्षमता एवं वंश वृद्धि के दृष्टिगत ही पूरे देश के चिडियाघरों में मैत्री बाग के सफेद टाइगर चर्चे में हैं। मैत्री बाग प्रबंधन ने सेंट्रल जू ऑथोरिटी के नियमानुसार, देश के 5 से भी अधिक चिडिय़ाघरों के साथ आदान-प्रदान किया है। जिसमे मुकुंदपुर, लखनऊ, नागपुर, राजकोट और बोकारो चिडिय़ाघर शामिल है। भिलाई मैत्री बाग सफेद बाघों की सबसे अधिक संख्या के साथ भारत के शीर्ष चिडियाघरों में से एक है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश का रीवा जिला भी सफेद बाघों के लिए प्रसिद्ध है। गर्व की बात है कि सफेद बाघों की मांग मौजूदा समय में मैत्री बाग के द्वारा ही पूरी की जा रही है।