डर नाम की कोई चीज नहीं होती, हमारा व्यर्थ सोच ही डर का स्वरुप

ब्रह्माकुमारीज़ उत्कर्ष समर कैंप का पांचवा दिन

डर नाम की कोई चीज नहीं होती, हमारा व्यर्थ सोच ही डर का स्वरुप

भिलाई। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय तथा राजयोगा एजुकेशन & रिसर्च फाउंडेशन के शिक्षा प्रभाग द्वारा सेक्टर 7  स्थित पीस ऑडिटोरियम में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आयोजित उत्कर्ष समर कैंप के पांचवें दिन सभी बच्चों को आत्म स्मृति का तिलक लगाकर मौन दिवस के रूप में मनाया गया।
 प्रथम सत्र आत्म मंथन में  बच्चों ने बताया की उन्हें किन परिस्तिथियों में डर लगता है जैसे रिज़ल्ट के समय,एग्जाम के समय,क्वेश्चन पेपर हाथ में आने से पहले,अकेले होने पर,कोई मजाक उडाता है तब हम खुद को कमज़ोर महसूस करते है। वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका तथा मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी ने बताया कि डर नाम की कोई चीज़ नहीं होती, हम व्यर्थ सोच कर उसका रूप रंग देकर उसे पहाड़ जैसा बना देते है। मन को एकाग्र करने की विधि के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा मन ड्रॉइंग बोर्ड जो हमारे मन में चल रहे विचारों को चेहरे पर दर्शाता है। हम कहते हैं आज मूड खराब है, किसी काम में मन नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा कि मन हमारा बेस्ट फ्रेंड है, हमारे मन के दो पार्ट होते हैं अवचेतन मन (सबकॉन्शियस माइंड), चेतन मन (कॉन्शियस माइंड)। मन के विचारों के प्रकार को बताते हुए कहा कि पॉजिटिव, निगेटिव, समर्थ, व्यर्थ, साधारण, विचार हमारे मन में आते रहते हैं। बच्चों को होमवर्क दिया गया की हम किन बातों में कमज़ोर है, उसे चेक करके चेंज करेंगे। सभी बच्चों को राजयोग मेडिटेशन के द्वारा अभ्यास भी कराया जा रहा है तथा  बच्चे इन सभी बातों को नोट भी कर रहे हैं तथा अपने हृदय में हाथ रख कर दृढ प्रतिज्ञा कर रहे की जीवन में सकारात्मक बदलाव अवश्य लायेंगे।