चावल घोटाला जांच के लिए छत्तीसगढ़ पहुंची केंद्र की टीम
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने की थी 500 करोड़ रुपए घोटाले की शिकायत
रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की शिकायत पर केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की टीम चावल घोटाले की जांच करने गुरुवार को रायपुर पहुंची. केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय द्वारा गठित पांच सदस्यीय जांच टीम रायपुर पहुंची है। केंद्रीय दल में एसआर मीना (डीएस), राजेश कुमार (यूएस), अंकित त्यागी (कंसल्टेंट सीपीएमयू), राहुल (टेक्निकल ऑफि़सर) और अन्नपूर्णा (टेक्निकल डायरेक्टर आईटी, हैदराबाद) को शामिल किया गया है. टीम अगले 24 घंटे की पड़ताल के बाद आज शाम वापस दिल्ली लौट जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने चावल घोटाले की जांच के लिए पहुंची टीम को लेकर कहा कि हम लोगों ने शिकायत किया था, जांच के लिए केंद्र से टीम आई हुई है. टीम दुकानों में जाकर देख रही है कि किस प्रकार गरीबों के चावल का छत्तीसगढ़ में लूट मचा है. 5000 करोड़ का घोटाला हुआ है।
1,50,80,229 क्विंटल चावल अनियमितता की जांच को लेकर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, जांच की बात है तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर का जांच कराएं. तीन दिन में साफ हो जाएगा क्या सच है. विधानसभा में मुद्दा उठा था तो इसका जवाब दिया गया था. रमन सिंह को विधानसभा में भरोसा ही नहीं है। मंत्री अमरजीत ने कहा, कोरोना काल था तो सबके पास राशन पहुंचाना था. तीन तरीकों से राशन का वितरण हुआ है. पहला मैनुअल, दूसरा ऑनलाइन और तीसरा पोर्टल से वितरण हुआ. तीनों का टेली होगा उसके बाद स्पष्ट रिपोर्टों को दिया जाएगा. उन्होंने रमन सिंह को घेरते हुए कहा कि इनके करनी पर कार्रवाई करो तो बदलापुर की राजनीति बोलते हैं. कोर्ट से स्टे ले लिया गया है। वहीं चावल घोटाले की जांच के लिए केंद्र से टीम आने पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर अपने समय मे 3600 करोड़ घोटाले पर ध्यान दे दिए होते तो आज भाजपा की ये स्थिति नहीं होती।
सरकारी राशन दुकानों का संचालन छुट भैया नेताओं के जद में है। प्रदेश में जितने भी सरकारी उचित मूल्य दुकान संचालित हो रहे है। उसमें सिंडिकेट काम कर रहा है। जो समूह या संचालक सरकारी राशन दुकान संचालित कर रहे है वह उसका न होकर किसी थर्ड पार्टी का है। जिसमें समूह के नाम से दुकान संचालित करने वाले को हर महीने छुटभैया नेताओं को जजिया कर देना पड़ता है या फिर छुटभैया नेता जब दुकान चलाने का ठेका देते है उस समय साल भर का एग्रीमेंट कर लेते है। सरकारी राशन दुकान में इसलिए दुकानदार इतना कांटा मारता है कि 35 किलो चावल 30 किलो ही निकलता है, शक्कर दो किलों की जगह डेढ़ किलो निकलता है तो भी कोई विरोध नहीं करता जो विरोध या शिकायत करता है तो छुटभैया के गुर्गे विरोधकर्ता की जमकर सेवा पूजा कर देते है। यहां तो यह आलम है कि राशन दुकान से राशन का ट्रक वहीं दूसरी गाड़ी में अनलोड होकर बाजार पहुंच जाता है कोई मानिटरिंग करने वाला नहीं है।