छत्तीसगढ़ में सुगंधित धान के बीजों की समस्या 

कृषि विभाग के बीज निगम के पास नहीं है बीज

छत्तीसगढ़ में सुगंधित धान के बीजों की समस्या 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सुगंधित धान के बीज की समस्या बनी हुई है। क्योंकि इनका केन्द्र सरकार के पास नोटिफिकेशन ही नहीं करवाया गया है। यही वजह है कि वे कृषि विभाग को यह वैरायटी उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से भी इसकी मांग हो रही है, लेकिन शासन से नोटिफाइड और प्रमाणीकरण नहीं होने के कारण यह संभव नहीं।
दुबराज, जवाफूल, नगरी और बादशाह भोग जैसे खुशबूदार बारीक चावल ने देशभर में छत्तीसगढ़ को शोहरत जरूर दिलाई, लेकिन यहां बीज निगम के पास ही इन किस्मों के बीज नहीं हैं। इसकी वजह ये है कि केंद्र सरकार से ये किस्में नोटिफाई नहीं हैं, इसलिए बीज निगम इनके बीज नहीं रख पा रहा है। प्रदेश के कृषि विभाग को शासन के आदेश के मुताबिक हर जिले में जगह-जगह यहां के सुगंधित धान का प्रचार करना है, ताकि किसान इसे लगाकर ज्यादा आय हासिल कर सकें, लेकिन बीज उपलब्ध नहीं रहने से यह प्रचार भी नहीं हो पा रहा है। परियोजना संचालक-कृषि की ओर से स्टेट नोडल अधिकारी को लिखी गई  चि_ी के मुताबिक सभी विकासखंडों में सुगंधित धान के किस्म का प्रदर्शन 240 एकड़ खेतों में करना है। इसलिए ही परियोजना संचालक ने बीज विकास निगम से धान की खुशबू वाली वैरायटी मांगी थी। इस आशय की चिट्ठी छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को 30 मई 2022 को लिखी गई। 
निगम ने 2 जून 2022 को जवाब में बताया कि उनके पास इस तरह के सुगंधित धान का बीज उपलब्ध ही नहीं है। इसके विकल्प के तौर पर धान की सुगंधित वैरायटी में केवल देवभोग ही उपलब्ध है। इसी का हवाला देकर कृषि विभाग के अधिकारी ने अपने बड़े अधिकारियों से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है। वहीं बीज विकास निगम के प्रबंधक आरके जैन ने स्वीकार किया कि भारत सरकार से जो बीज प्रमाणित होकर नोटिफाइड होते हैं, बीज विकास निगम उन्हीं वैरायटी को कृषि विभाग या अन्य को डिमांड के हिसाब से उपलब्ध करवा पाता है। दुबराज, जवाफुल, नागरी जैसी सुगंधित किस्में केंद्र सरकार से नोटिफाइड नहीं है। कुछ किसान भले ही कम जमीन पर दुबराज, जवाफूल, रामजीरा, भालूरीच, धनिया धान जैसे सुगंधित धान की खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसका अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। कोटा क्षेत्र में कुपोषण के चलते ही ऐसे किसान खेती कर इसका क्षेत्र फैलाने पर जोर दे रहे हैं। इसके बेहतर नतीजे आए हैं। इस वजह से कृषि विभाग सुगंधित धान के प्रति किसानों को तैयार करने में लगा है।
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