एक टूटा हुआ परिवार पुनः एक होकर हसी-खुशी लौटा अपने घर
वर्ष 2024 के द्वितीय नेशनल लोक अदालत में कुल 110974 मामले निराकृत तथा अवार्ड राशि 315443693 रूपए रही
दुर्ग। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश/ अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में आज 13 जुलाई 2024 को जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3 व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा तथा किशोर न्याय बोर्ड श्रम न्यायालय, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाऐ) राजस्व न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैलचित्र पर डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश दुर्ग द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल कर प्रातः 10.30 बजे किया गया। शुभारंभ कार्यक्रम में श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग एवं जिला अधिवक्ता संघ, दुर्ग की अध्यक्ष सुश्री नीता जैन एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के प्रबंधक उपस्थित रहे।
नेशनल लोक अदालत में कुल 37 खण्डपीठ का गठन किया गया। परिवार न्यायालय दुर्ग हेतु 04 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 28, तहसील न्यायालय भिलाई-3 में 01 खण्डपीठ, तहसील पाटन हेतु 01 खण्डपीठ, तहसील न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था।
उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक सिविल परिवार मोटर दुर्घटना दावा से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैकिंग/वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणों (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है, इसमें न तो किसी की हार होती है न ही किसी की जीत होती है।
आज आयोजित उक्त नेशनल लोक अदालत का निरीक्षण न्यायमूर्ति एन. के. चंद्रवंशी, न्यायाधिपति, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर एवं पोर्टफोलियो जज जिला-दुर्ग द्वारा किया गया। न्यायमूर्ति द्वारा न्यायालय परिसर में गठित खण्डपीठों का निरीक्षण करते हुए उपस्थित पक्षकारों से रू-ब-रू हुये नेशनल लोक अदालत से संबधित कार्यों का जायजा लिया गया। न्यायमूर्ति द्वारा वर्चुअल मोड़/विडियो कान्फ्रेसिंग से हो रहे राजीनामा में भी स्वतः पक्षकारों से भी वार्तालाप कर राजीनामा करने हेतु उन्हें प्रेरित किया। न्यायमूर्ति द्वारा प्रकरण के पक्षकार जिनके मध्य राजीनामा हुआ है उन्हें प्रेरित करने हेतू पौधे स्मृति स्वरूप प्रदान किये गये। न्यायमूर्ति द्वारा इस उद्देश्य सहित, कि वे पौधे को अपने घर में लगाकर पुनः स्थापित हुए मधुर संबंध के चिन्ह के रूप में उक्त पौधे को देखते हुए प्रोत्साहन लेते हुए अपने मध्य मधुर संबंध बनाए रखें। निरीक्षण के दौरान न्यायमूर्ति एन. के. चंद्रवंशी के साथ डॉ० प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश दुर्ग, श्रीमती गिरिजादेवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, संजीव कुमार टामक विशेष न्यायाधीश एस.सी.एस.टी.एक्ट एक्ट दुर्ग, श्रीमती रश्मि नेताम, मुख्य न्यायिक मजिस्टेट दुर्ग तथा सचिव आशीष डहरिया उपस्थित रहे।
आज आयोजित नेशनल लोक अदालत के अवसर पर जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में आने वाले जनसाधारण लोगों के लिए निःशुल्क आम लंगर का आयोजन किया गया जिसमें जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में पधारने वाले आंगतुकों/पक्षकारों को अधिकाधिक संख्या में निःशुल्क भोजन का वितरण किया गया। इसके साथ-साथ कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, दुर्ग के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में आने वाले पक्षकारों के स्वास्थ्य जॉच/परीक्षण हेतु एक दिवसीय निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन भी किया गया जिसमें उक्त विभाग/कार्यालय की ओर से डॉ. शुमदा तिवारी, श्रीमती जयश्री नागरे ग्रामीण चिकित्सा सहायक, खेमलाल कुर्रे, प्रवीण कुमार कुर्रे फारमासिस्ट, राजू यादव वार्ड ब्वाय के द्वारा सेवाएँ प्रदान की गयी। उक्त आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर में बड़ी संख्या में आमजनों के द्वारा अपने स्वास्थ्य की जांच/परीक्षण कराया गया और बहुतायत संख्या में लोग लाभांवित हुए हैं।
वर्ष 2024 के इस द्वितीय नेशनल लोक अदालत में कुल 9428 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 101546 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 315443693 रूपये रहा। इसी कम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 384 दाण्डिक प्रकरण, क्लेम के 54 प्रकरण, पारिवारिक मामलें के 175 चेक अनादरण के 414 मामलें, व्यवहार वाद के 78 मामलें श्रम न्यायालय के कुल 34 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के कुल 1051 मामलें निराकृत हुए। उक्त नेशनल लोक अदालत में *निराकृत प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे -
55 वर्षीय ब्लड प्रेशर और शुगर की वृद्ध महिला को उनके पुत्र से मिला भरण पोषण
मामला खण्डपीठ क्र. 01 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें 55 वर्षीय ब्लड प्रेशर और शुगर की वृद्ध महिला जिनका मामला 2 वर्षों से लंबित था उक्त प्रकरण में आवेदिका और उनके पुत्र के मध्य आज नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलह करते हुए आपसी राजीनामा कर प्रकरण राजीखुशी से समाप्त किया गया उक्त मामलें में पुत्र के द्वारा अपनी माता के भरण पोषण हेतु प्रतिमाह 4000 रूपये प्रत्येक माह के 10 से 15 तारीख तक अपनी माता के बैंक खाते में जमा करने सहमत हुआ। इस तरह लोक अदालत के माध्यम से पुनः एक परिवार के मध्य मधुर संबंध स्थापित हुआ।
आवेदक एवं आवेदिका के दाम्पत्य संबंधों का पुनर्स्थापना हुआ
मामला खण्डपीठ क्र. 01 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें आवेदक का विवाह अनावेदिका के साथ हिन्दू रीति-रिवाज से हुआ था। जिनके दाम्पत्य संसर्ग से 12 वर्षीय पुत्री है, जो अनावेदिका के साथ रह रही है। 10 वर्ष तक साथ रहने के बाद अनावेदिका ससुराल में रहने की जिद करने लगी इनके मध्य काफी अधिक विवाद होने लगा। अनावेदिका मायके चली गई। काफी प्रयास के बाद भी अनावेदिका साथ रहने को तैयार नहीं हुई अंततः गृहस्थ जीवन पुनः स्थापित कराये जाने, आवेदक ने मामला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। आज नेशनल लोक अदालत में समझाईश के उपरांत उभयपक्ष पुरानी बातों को भूलकर साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने को तैयार हो गया। सुलहवार्ता सफल रही। आवेदक एवं अनावेदिका अपनी पुत्री के साथ राजीखुशी अपने घर चले गए। पक्षकारों को इस अवसर पर उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ एक पौधा स्मृति स्वरूप प्रदान किया गया। जिसे वे अपने घर में लगाकर पुनः अपने नए जीवन की शुरूआत एक नए रूप में करें। इस प्रकार लोक अदालत का सार न किसी की जीत, न किसी की हार पूर्ण हुई।
बी.पी., शुगर से पीड़ित, शारीरिक रूप से कमजोर वृद्ध को उनके पुत्रों से मिला भरण-पोषण
मामला खण्डपीठ क्र. 01 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें अनावेदकगण पुत्र अपने वृद्ध पिता को मूल निवास में छोड़कर, अपने ससुराल, पत्नी व बच्चों के साथ चले गए। आवेदक वृद्ध पिता ने अपने स्वयं की आय से लोहा मोल्डिंग का कारखाना लगाया था जिसका संचालन अनावेदकगण पुत्रों द्वारा किये जाने से घर खर्च चलता था। कारखाना बंद होने से अनावेदकगण अपने ससुराल में निवास करने लगे। आवेदक के बी.पी. शुगर से पीड़ित होने व काफी कमजोर होने से जीविकोपार्जन का संकट पैदा होने पर आवेदक द्वारा अपने पुत्रों के विरूद्ध भरण-पोषण का मामला प्रस्तुत किया गया। आज नेशनल लोक अदालत के अवसर पर समझाईश दिये जाने से अनावेदकगण अपने वृद्ध पिता को भरण पोषण हेतु 1000-1000 प्रत्येक माह आवेदक के बैंक खाते में जमा करने तथा अपने पिता के बी.पी. शुगर की दवाई की व्यवस्था करने तथा आवेदक की उचित देखभाल करने सहमत हो गए। इस प्रकार सुलहवार्ता सफल रही। आवेदक वृद्ध पिता एवं अनावेदकगण राजीखुशी अपने घर चले गए। पक्षकारों को इस अवसर पर उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ एक पौधा स्मृति स्वरूप प्रदान किया गया। जिसे वे अपने घर में लगाकर पुनः अपने नए जीवन की शुरूआत एक नए रूप में करें।
दिव्यांग महिला को मोटर दुर्घटना दावा के तहत मिली क्षतिपूर्ति
मामला खण्डपीठ क्र. 05 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती सुनीता टोप्पो, चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के न्यायालय का है जिसमें दिव्यांग महिला, जो चलने फिरने में असमर्थ थीं, को जिला न्यायालय व पैरालीगल वालिन्टियर की मदद से संबंधित न्यायालय में व्हीलचेयर के माध्यम से पहुंचाया गया। माननीय पीठासीन अधिकारी के द्वारा समझाईश दिये जाने पर अनावेदक के द्वारा आवेदिका दिव्यांग महिला को मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण प्रकरण के तहत राजीनामा के आधार पर क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की गई। जिसके पश्चात उक्त आवेदिका हसी-खुशी अपने घर लौट गई।
टूटा हुआ परिवार हुआ एक
मामला खंडपीठ कमांक 21 के पीठासीन अधिकारी रवि कुमार कश्यप के न्यायालय का है। जिसमें प्रार्थी एवं अभियुक्त आपस में सगे बड़े पिताजी एवं भतीजा होकर एक ही परिवार के सदस्य है। जिनके मध्य मारपीट होने के कारण आपराधिक प्रकरण न्यायालय में लंबित था। उक्त प्रकरण में समझाईश के दौरान न्यायमूर्ति एन. के. चंद्रवंशी, न्यायमूर्ति छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय विलासपुर का आगमन हुआ। और माननीय महोदय के द्वारा उभयपक्षों को समझाईश दिये जाने पर उभयपक्ष राजीनामा करने हेतु तैयार हो गये। उभयपक्ष आपस में गले मिलकर अपने घर वापस हसी-खुशी लौट गए। इस प्रकार लोक अदालत के माध्यम से एक टूटा हुआ परिवार पुनः एक होकर हसी-खुशी अपने घर लौट गया।