CMHO और नोडल अधिकारी ने कलेक्टर व शासन को किया गुमराह, अगर ऐसा ही तानाशाही चलता रहा तो भविष्य में कोई भी निजी अस्पताल गर्भवती मरीज को नहीं लेगा भर्ती

व्ही वाय हॉस्पिटल के संचालक डॉ. विश्वनाथ यादव ने लगाया आरोप

  • CMHO के नोटिस का जवाब देने के बावजूद नोडल अधिकारी ने उसी नोटिस को दोबारा भेजा
    नोडल अधिकारी ने दबाकर रखा फाइन का नोटिस, आज तक नहीं मली सूचना के अधिकार के तहत CMHO दफ्तर से मांगी गई जानकारी  
  • पहले से निरस्त अस्पताल के लाइसेंस को कर दिया  गया निरस्त,  आज भी अस्तित्व में है नया लाइसेंस
  • डॉ. विश्वनाथ यादव ने की उच्च स्तरीय जांच कर गलत कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें CMHO दफ्तर दुर्ग के अधिकारियों के गलत कार्रवाई और कलेक्टर को गुमराह में रखने के कारण शहर के एक प्रतिष्ठित अस्पता को बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया। व्ही वाय हॉस्पिटल के संचालक डॉ. विश्वनाथ यादव ने शासन को गुमराह कर  गलत कार्रवाई करने वाले CMHO दुर्ग डॉ. जेपी मेश्राम तथा नोडल अधिकारी डॉ. अनिल शुक्ला को सस्पेंड करने की मांग की है।  वहीं अगर शासन द्वारा उच्च स्तरीय जांच की जाती है तो कई CMHO दफ्तर के कई अधिकारियों के नौकरी खतरे में पड़ सकती है। व्ही वाय हॉस्पिटल के संचालक डॉ. विश्वनाथ यादव ने कहा कि CMHO दफ्तर ने गलत कार्रवाई कर व्ही वाय हॉस्पिटल को बदनाम किया है। अगर ऐसा ही तानाशाही चलता रहा तो भविष्य में कोई भी निजी अस्पताल गर्भवती मरीज को भर्ती नहीं लेगा।

बता दें कि एक गर्भवती महिला को व्ही वाय हॉस्पिटल में उसके परिजनों ने गंभीर स्थिति में भर्ती कराया. महिला को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया उस समय गर्भ में बच्चा 10 दिन पहले ही मर चुका था. मल्टी ऑर्गन फेलियर सेप्टिसीमिया के कारण महिला मरीज के शरीर के सारे अंग काम करना बंद कर दिया था। किडनी, लीवर फेल होने के साथ ही ब्लड में इन्फेक्शन 24000 से ज्यादा फैल चुका था. इस वजह से भर्ती करने के कुछ समय बाद ही महिला की मौत हो गई थी। महिला का इलाज इसके पहले धमधा के शासकीय  अस्पताल में  7 माह तक हुआ था. CMHO डॉ. जेपी मेश्राम के नोटिस का जवाब देने के बावजूद नोडल अधिकारी डॉ. अनिल शुक्ला ने उसी नोटिस को दोबारा भेज दिया। वहीं कलेक्टर से व्ही वाय हॉस्पिटल के संचालक डॉ. विश्वनाथ यादव को जानकारी प्राप्त हुई की उन्हें 20 हजार का नोटिस भेजा गया था जो उन्हें मिला ही नहीं. ये नोटिस CMHO दफ्तर में दबाकर रखा गया था, जिसे सूचना के अधिकार RTI के तहत प्राप्त किया गया लेकिन किसी तरह का पोस्टल रिसिप्ट आज तक नहीं दिया गया. इस प्रकार  CMHO दुर्ग डॉ. जेपी मेश्राम तथा नोडल अधिकारी डॉ. अनिल शुक्ला ने कलेक्टर व शासन को गुमराह करते हुए कार्रवाई कर अस्पताल को बंद करा दिया।

मजे की बात है कि व्ही वाय हॉस्पिटल के जिस लाइसेंस को रद्द किया गया है वह पहले से निरस्त है. जानकारी के अनुसार व्ही वाय हॉस्पिटल द्वारा वर्ष 2019 को 14 बिस्तर अस्पताल का लाइसेंस लिया गया था। वर्ष 2021 में इस लाइसेंस को निरस्त कर 22 बिस्तर अस्पताल का नया लाइसेंस लिया गया ताकि आयुष्मान कार्ड का लाभ मरीजों को मिल सके क्योंकि  14 बिस्तर अस्पताल में आयुष्मान कार्ड की सुविधा नहीं मिलती है। CMHO दफ्तर के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा साल 2019 के निरस्त लाइसेंस को फिर से निरस्त किया गया. इस  प्रकार  व्ही वाय हॉस्पिटल पर की गयी कार्रवाई  संदेह के घेरे में है.  

व्हीवाई अस्पताल पदमनाभपुर दुर्ग के संचालक डॉ. विश्वनाथ यादव ने बताया कि दिनाक 29.06.2023 दोपहर करीब 3 बजे मरीज श्रीमती दिलेश्वरी साहू पति महेन्द्र साहू निवासी धमधा दुर्ग को मेरे अस्पताल में Multi organ failure (Septicemia) के इलाज हेतु भर्ती किया गया था। जिसके ईलाज के पूर्व मेरे द्वारा उसके पति को बताया गया कि मरीज की हालत नाजुक है, तथा बचने की संभावना नहीं है। क्योंकि उसके पेट में सात महीने का गर्भ 10 दिन पहले से ही मृत हो गया था। मरीज के पति के द्वारा हाई रिस्क फार्म भर कर ईलाज हेतु सहमति दिया जिसके पश्चात मेरे द्वारा ईलाज शुरु किया गया। किन्तु हालत बिगडने पर लगभग मरीज को रात 12 बजे के बाद वेंटिलेटर में डालना पड़ा। उनके पति को यह जानकारी भी दी गई, लेकिन मरीज की मृत्यु ईलाज के दौरान सुबह 4.10 मिनट को हो गई। मरीज का सेप्टिसीमिया प्रॉब्लम के कारण किडनी, लीवर खराब होने के साथ ही ब्लड के इन्फेक्शन 24 हजार के पर हो गया था। शरीर के सारे अंग काम करना बंद कर दिया था। इस कारण महिला मरीज की मौत हो गई।

इसकी जानकारी नियमानुसार नगर निगम, दुर्ग को हमारे द्वारा दिया गया। इसके बाद हमें दिनांक 6 दिसम्बर 2023 को जिला एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ), दुर्ग के द्वारा कारण बताओ नोटिस प्रदान किया गया। जिसमें मृतक दिलेश्वरी साहू पति महेन्द्र साहू निवासी धमधा के संदर्भ में पूरी जानकारी एवं बेडहेड टिकट इत्यादि की मांग की गई। यह नोटिस हमें डाक के द्वारा 8 दिसम्बर 2023 को प्राप्त हुआ। इसके उत्तर में 19 पेज का बेडहेड टिकट जांच के पेपर इत्यादि सहित फार्म-4 और फार्म 6 भर कर जिला एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ), दुर्ग कार्यालय को दिनांक 11.12.2023 को जमा किया गया। इसके साथ ही कवरिंग लेटर और समरी पेपर भी जमा किया गया। जिसकी पावती हमारे द्वारा ली गई। दिनांक 29.12.2023 को सीएचएमओ कार्यालय से हमें एक और पत्र प्राप्त हुआ। जिसमें उल्लेख किया गया कि नोटिस दिनांक 06.12.2023 के पत्र का जवाब आप के द्वारा आज दिनांक तक प्रस्तुत नहीं किया गया है।

इस संदर्भ में व्हीवाई अस्पताल प्रबंधन द्वारा पुनः सारे दस्तावेज-19 पेज का बेडहेड टिकट जांच के पेपर इत्यादि सहित फार्म-4 और फार्म-6 भर कर सीएमएचओ, दुर्ग कार्यालय में दिनांक 02.01.2024 को जमा कर उसकी पावती भी प्राप्त की गई । सीएमएचओ कार्यालय से दिनांक 5 जनवरी 2024 को विमल वर्मा द्वारा मुझे फोन कर कार्यालय में बुलाया गया और चर्चा उपरांत सीएमएचओ डॉक्टर जे पी मेश्राम द्वारा मुझे एक माफीनामा लिखने को कहा गया, जिसमें यह दर्शाया गया कि भविष्य में किसी भी गर्भवती महिला की मृत्यु होती है तो उसकी जानकारी सीएमएचओ कार्यालय में नियमानुसार देना होगा। निर्देशानुसार सीएमएचओ कार्यालय में डॉक्टर मेश्राम के समक्ष माफीनामा लिखकर जमा किया गया एवं उसकी पावती ली गई।
डॉ. विश्वनाथ यादव ने बताया कि दिनांक 18 फरवरी 2024 को सीएमएचओ कार्यालय दुर्ग से फोन के माध्यम से कहा गया कि 22 फरवरी 2024 को मातृत्व मृत्यु के संबंध में कार्यालय सभागार में दोपहर 3 बजे मीटिंग में उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें। जब मैं समय पर सभागार में गया तो  प्रकरण के अलावा और भी सात अन्य इसी तरह के प्रकरण की सुनवाई हो रही थी। मेरे अस्पताल के मरीज के संदर्भ में यह पाया गया कि धमधा पीएचसी की अत्यधिक लापरवाही होने के कारण ही मरीज की हालत इतनी नाजुक एवं गंभीर हुई थी। जिसमें डॉ मेश्राम ने कहा कि इस मरीज को किसी भी स्थिति में नहीं बचाया जा सकता था।

डॉ. विश्वनाथ यादव ने बताया कि दिनांक 22 फरवरी 2024 को कलेक्टर, दुर्ग द्वारा मेरे व्हीवाई अस्पताल, दुर्ग का लाइसेंस मातृत्व मृत्यु एवं पेनाल्टी जमा नहीं करने के कारण रद्द कर दिया गया। जिसकी जानकारी मुझे समाचार पत्र के संस्करण दिनांक 23 फरवरी 2024 के द्वारा मिली। मेरे द्वारा तत्काल सीएमएचओ डॉ. मेश्राम से जाकर संपर्क किया गया और पूछा कि यह कार्रवाई किस तरह की गई है, जबकि मेरे द्वारा आप से हुई चर्चा एवं निर्देशानुसार माफीनामा जमा कर दिया गया था। इस पर उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं जानता यह आदेश कलेक्टर दुर्ग के द्वारा किया गया है। इस सम्बन्ध में आप कलेक्टर से ही मिलें। तत्काल उसी दिन दिनांक 23 फरवरी 2024, 11 बजे कलेक्टर से मिला तो उन्होंने कहा कि आप ने 20 हजार रूपए की पेनाल्टी क्यों नहीं जमा किया। तो हमनें उन्हें कहा कि आज तक हमें इस प्रकार की कोई जानकारी या नोटिस प्राप्त नहीं हुआ हैं। तब कलेक्टर मैडम ने हमें 4 जनवरी 2024 का एक पत्र दिखाया जो पूर्व कलेक्टर के द्वारा आदेशित किया गया था, जिसमें लेख किया गया था कि 'आप ने (व्हीवाई अस्पताल) नोटिस दिनांक 06 दिसम्बर 2023 एवं नोटिस दिनांक 29 दिसम्बर 2023 के पत्रों का आज दिनांक तक जवाब नहीं देने के कारण आप को 20,000/- रूपए की पेनाल्टी लगाई जाती है, एवं एक महीने तक अस्पताल को बंद रखने का आदेश पारित किया गया था।'

डॉ. विश्वनाथ यादव ने बताया कि उनके  द्वारा वर्तमान कलेक्टर मैडम से अनुरोध किया गया कि पूर्व कलेक्टर के आदेशानुसार पत्र मुझे आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। जिस पर कलेक्टर मैडम के निर्देशानुसार मेरे द्वारा दिनांक 23 फरवरी 2024 को पेनाल्टी राशि 20000 रूपए बैंक के माध्यम से डीडी बनाकर सीएमएचओ कार्यालय, दुर्ग में जमा कर पावती ली गई। इसके पश्चात मेरे द्वारा पेनाल्टी राशि की पावती के साथ कलेक्टर, दुर्ग को दिनांक 27/02/2024 को आवेदन प्रस्तुत कर मेरे अस्पताल के लायसेंस को बहॉल करने हेतु अनुरोध किया गया है। जिस पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है।

हमने आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी चाही कि दिनांक 4 जनवरी 2024 का जो पत्र सीएमएचओ कार्यालय से मुझे प्रेषित किया गया, उसकी पोस्टल जानकारी प्रदान की जावें। जिसका हमें आज तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ हैं। इसलिए आरटीआई के अन्तर्गत मेरे द्वारा प्रथम अपील किया गया है। जो लंबित है। इसके बाद मेरे द्वारा दिनांक 20/03/2024 को संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें छ.ग.में संचालक के समक्ष कलेक्टर, दुर्ग के आदेश के विरुद्ध अपील आवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसमें मुझे दिनांक 22 अप्रैल 2024 को पक्ष रखने हेतु अपील में बुलाया गया जिसमें मैं समय पर कार्यालय में उपस्थित हुआ। किन्तु दूसरा पक्ष दोपहर 2 बजे तक नहीं पहुंचा था। उसके बाद दूसरे पक्ष के नहीं आने पर उप संचालक डॉ कुर्रे द्वारा मुझे जाने के लिए कहा गया एवं यह भी कहा गया कि आपको अपना पक्ष रखने हेतु पुनः सूचित किया जाएगा।

मुझे अखबार में प्रकाशित समाचार दिनांक 30/04/2024 के माध्यम से यह जानकारी मिली कि संचालक स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा मेरी अपील खारिज कर दी गई है। जबकि उक्त तथ्य के अनुसार उपसंचालक के मौखिक कथनानुसार हमें अपना पक्ष रखने हेतु अभी तक सूचित नहीं किया गया है। अतः निवेदन है कि मेरे अस्पताल के प्रथम बार हुई त्रुटि के लिए सीएमएचओ कार्यालय, दुर्ग के निर्देशानुसार मेरे द्वारा प्रस्तुत माफीनामा दिनांक 05 जनवरी 2024 एवं वर्तमान कलेक्टर दुर्ग के निर्देशानुसार पेनाल्टी राशि दिनांक 23 फरवरी 2024 को जमा करने के बाद भी पूर्व कलेक्टर दुर्ग के आदेश दिनांक 4 जनवरी 2024 के द्वारा निरस्त किए गए व्हीवाई अस्पताल, दुर्ग का लायसेंस बहाल करने हेतु वर्तमान कलेक्टर, दुर्ग को प्रस्तुत आवेदन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। डॉ. विश्वनाथ यादव ने कहा कि ये कार्रवाई  उपरोक्त प्रतिवेदन तथा तथ्यों के संदर्भ में नियमानुसार कार्रवाई नहीं है तथा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत भी प्रतीत होता है। इसके साथ ही राज्य शासन द्वारा आम जनता की चिकित्सा सुविधा हेतु निजी अस्पताल को प्रोत्साहन देने की योजना के विपरीत होने से जनहित के विपरीत है। मेरे अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों की आजीविका भी संकट में है।