नेशनल लोक अदालत: बिखरा परिवार हुआ एक, हंसी-खुशी वापस लौटे भाई-बहन

वर्ष 2025 की प्रथम नेशनल लोक अदालत में 459976 मामले निराकृत, अवार्ड राशि 351774267 रूपए रही  

नेशनल लोक अदालत: बिखरा परिवार हुआ एक, हंसी-खुशी वापस लौटे भाई-बहन

दुर्ग। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3, व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा तथा किशोर न्याय बोर्ड दुर्ग, श्रम न्यायालय दुर्ग, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग राजस्व न्यायालय दुर्ग एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैलचित्र पर डॉ. प्रज्ञा पचौरी प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल कर प्रातः 10.30 बजे किया गया। शुभारंभ कार्यक्रम में श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग आशीष डहरिया, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अलावा जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग के सचिव रविशंकर सिंह एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के प्रबंधक उपस्थित थे।

नेशनल लोक अदालत में कुल 32 खण्डपीठ का गठन किया गया। परिवार न्यायालय दुर्ग हेतु 03 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 23, तहसील व्यवहार न्यायालय भिलाई-3 में 01 खण्डपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय पाटन हेतु 02 खण्डपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था। उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक सिविल, परिवार, मोटर दुर्घटना दावा से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैंकिंग/वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणों (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है, इसमें न तो किसी की हार होती है न ही किसी की जीत होती है। आज आयोजित नेशनल लोक अदालत के अवसर पर कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दुर्ग के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में आने वाले पक्षकारों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु एक दिवसीय निशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया गया जिसमे उक्त विभाग/कार्यालय की ओर से डॉ. मोनिका मरकाम चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य सहायक कर्मचारियों द्वारा सेवाएँ प्रदान की गयी। उक्त आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर में कोर्ट भ्रमण के दौरान पक्षकारों व बैंक प्रबंधकों से रू-ब-रू होते हुए माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश डॉ. प्रज्ञा पचौरी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश द्वारा स्वास्थ्य की जाँच परीक्षण कराया गया। इसके अलावा स्वास्थ्य जाँच शिविर में अन्य न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण एवं बड़ी संख्या में आमजनों के द्वारा अपने स्वास्थ्य की जांच/परीक्षण कराया गया और बहुतायत संख्या में लोग लाभांवित हुए है।
वर्ष 2025 के प्रथम नेशनल लोक अदालत में कुल 19020 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 440956 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 351774267 रूपये रहा। इनमें बैंक के प्रीलिटिगेशन के कुल 45, विद्युत के कुल 746 मामले निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि लगभग 208440486 रूपए रही है। इसी क्रम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 580 दाण्डिक प्रकरण, क्लेम के 64 प्रकरण, पारिवारिक मामले के 117 चेक अनादरण के 515 मामले, व्यवहार वाद के 65 मामले श्रम न्यायालय के कुल 28 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के कुल 6001 मामले निराकृत हुए।

उक्त नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे-

रिश्तेदारों के आपसी राजीनामा से आपराधिक काउन्टर मामला हुआ समाप्तः- मामला खंडपीठ क्र. 14 के पीठासीन अधिकारी कु. श्वेता पटेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट
 
प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है. जिसमें शासन विरूद्ध श्रीनिवास शाह एवं शासन विरूद्ध रामकुमार शाह दोनों अभियुक्त आपस में रिश्तेदार थे. जिनके मध्य आपस में लड़ाई-झगडा गाली-गलौच होने से एक दूसरे के विरूद्ध काउन्टर मामला अंतर्गत धारा 294, 506 बी. 323/34 भा.दं.वि. थाने में दर्ज हुआ था। संबंधित मामला न्यायालय के समक्ष सुनवाई हेतु प्रस्तुत होने से उक्त प्रकरण में आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में दोनों अभियुक्तगण को न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने से उभय पक्ष/अभियुक्तगण आपसी राजीनामा से मामला समाप्त कर दोनो रिश्तेदार आपस में पुनः मधुर संबंध स्थापित कर पुनः आपस में लडाई झगड़ा नहीं करना व्यक्त कर राजीखुशी से अपने घर वापस गए। जिससे लोक अदालत का सार पूर्ण हुआ अर्थात् न किसी की जीत न किसी की हार।

दाम्पत्य जीवन हुआ फिर से खुशहाल -

मामला कुटुम्ब न्यायालय के खंडपीठ क्र. 1 पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदक ने आवेदिका से विवाह विच्छेद का मामला प्रस्तुत किया था। आवेदक एवं अनावेदिका का विवाह 27 अप्रैल 2015 को हिन्दू रीति-रिवाज से सम्पन्न हुआ था। अनावेदिका शादी के पूर्व दोस्त से बातचीत करती रहती थी और पूछे जाने पर टाल मटोल करती थी। अनावेदिका को काफी समझाने के बाद भी वह नहीं मानी और दिनांक 19 मार्च 2016 को ससुराल में बैठक होने पर अपनी गलती स्वीकार किया। आवेदक अनावेदिका की गलती को माफ कर सम्मान पूर्वक वापस ले आया और पारिवारिक जीवन का निर्वहन करने लगा पुत्री के जन्म के बाद अनावेदिका आवेदक पर ध्यान देना बंद कर दी और मानसिक एवं शारीरिक रूप से परेशान करने लगी। अनावेदिका बार-बार मायके चली जाती अंततः आवेदक ने अनावेदिका से परेशान होकर विवाह विच्छेद का मामला प्रस्तुत किया।
न्यायालय के द्वारा नेशनल लोक अदालत के अवसर पर पक्षकारों के मध्य सुलह कार्यवाही कराये जाने पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भूलकर साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने को तैयार होकर मामला समाप्त कर आवेदक एवं अनावेदक दोनों अवयस्क बच्चों सहित राजी-खुशी से घर चले गये। इस प्रकार सुलहवार्ता सफल रही तथा लोक अदालत के माध्यम से एक बिखरे हुए परिवार को फिर से एक किया गया और लोक अदालत के माध्यम से एक टूटा हुआ परिवार फिर से एक होकर राजीखुशी अपने घर चले गए।

नेशनल लोक अदालत में बिखरा परिवार हुआ पुनः एक -

मामला कुटुम्ब न्यायालय के खंडपीठ क्र.1 पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदिका ने आवेदक के विरूद्ध भरण पोषण राशि दिलाने का मामला प्रस्तुत किया था। आवेदिका एवं अनावेदक का विवाह हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार 27 जून 2020 को सम्पन्न हुआ तथा दो-चार माह बाद अनावेदक एवं ससुर द्वारा कम दहेज लायी हो कहकर बात-बात पर ताना मारकर मारपीट करने लगा, जिसके संबंध में सभी परिजनों को बुलाकर बैठक कराये जाने पर बैठक के बाद पुनः दहेज की मांग और बढ़ गयी और नवंबर 2024 को अनावेदक ने आवेदिका को उसके मायके छोड़ दिया। अनावेदक द्वारा भरण-पोषण हेतु ध्यान नहीं देने के कारण उसके पास जीवकोपार्जन की संकट आने से आवेदिका द्वारा मजबूर होकर अनावेदक के विरूद्ध भरण पोषण का मामला प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय के द्वारा नेशनल लोक अदालत के अवसर पर पक्षकारों के मध्य सुलह कार्यवाही कराये जाने पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भूलकर पृथक रह रहे दम्पत्ति साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने तैयार हो गये और अनावेदक द्वारा आवेदिका को घरेलू एवं अन्य खर्च हेतु प्रतिमाह 5000 रूपये देने के लिए स्वेच्छया तैयार हो गया। इस प्रकार सुलह सफल रही तथा लोक अदालत के माध्यम से बिखरा परिवार पुनः एक हो गया ।

आपसी विवाद समाप्त कर हंसी-खुशी वापस लौटे भाई-बहन-

मामला खंडपीठ क्र. 13 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती कामिनी जायसवाल. न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, वर्ष 2021 से लंबित आपराधिक प्रकरण महज एक पारिवारिक विवाद से उपजा था। समय के साथ विवाद इतना बढ़ गया कि भाई-बहन के रिश्ते में दूरियां आ गई। भाई अपनी बहन के घर गया, जहां किसी छोटी से बात पर कहासुनी हो गई और बहस धीरे-धीरे गालीगलौच व मारपीट में तब्दील हो गई जिससे स्थिति और बिगड़ गई। विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मामला न्यायालय में संस्थित हुआ। परिवार में बढ़ती दूरियां मुकदमें के चलते और बढ़ते चली गई तथा भाई-बहन के बीच बातचीत पूरी तरह बंद हो गया। जो रिश्ते कभी प्रेम और विश्वास के थे, वे कटुता और वैमनस्य में बदल गए। न्यायालय द्वारा मामले की प्रकृति को देखते हुए इसे नेशनल लोक अदालत में रखे जाने का निर्णय लिया गया। जो एक नई शुरुआत की उम्मीद से कर आया और उक्त संबंध में उभयपक्ष के नेशनल लोक अदालत के दिन न्यायालय में उपस्थित होने से न्यायालय द्वारा समझाईश दी गई कि आपसी विवादों को भूलकर रिश्तों को संजोना ही सही रास्ता है। सुलह की ओर एक कदम लोक अदालत की समझाईश का सकारात्मक प्रभाव पड़ा। भाई-बहन ने आपसी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे से माफी मांगी। जो रिश्ते कड़वाहट से भरे थे वे फिर से प्रेम और विश्वास में बदल गए। दोनों मुस्कुराते हुए अपने घर लौटे, और वर्ष 2021 से लंबित यह मामला समाप्त हो गया।

विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तरप्रदेश में उपस्थित आवेदिका से अनावेदक का हुआ राजीनामा-

मामला खंडपीठ क्र. 19 के पीठासीन अधिकारी सुश्री पायल टोप्नो, न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, प्रार्थिया द्वारा अपने पड़ोस में रहने वाले अनावेदक को 15000 रूपए पेट्रोल पंप के मैनेजर को दिये जाने हेतु दिया गया था किंतु अनावेदक द्वारा मैनेजर को उक्त रूपये प्रदान नहीं किया गया तथा प्रार्थिया के द्वारा अपने रूपये मांगे जाने पर तथा अनावेदक द्वारा पैसे नहीं दिये जाने के कारण उभयपक्ष के मध्य वाद-विवाद, गाली-गलौच मारपीट इत्यादि हुआ था. जिसका काउंटर मामला/रिपोर्ट उपभयपक्ष द्वारा थाना खुर्सीपार में किया गया था। उक्त प्रकरण नेशनल लोक अदालत में रखा गया। आज दिनांक को प्रार्थिया उत्तरप्रदेश में होने से नेशनल लोक अदालत के समक्ष भौतिक रूप से उपस्थित होने में सक्षम नहीं थी। उक्त परिस्थिति में उभयपक्षों के मध्य राजीनामा की संभावनाएं नाम मात्र थी किंतु आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में वीडियों कान्फ्रेंसिंग की सुविधा से आवेदिका से संपर्क स्थापित कर आवेदिका की उपस्थिति लेते हुए प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक के मध्य राजीनामा के तहत मामला समाप्त हुआ। उक्त प्रकरण में आवेदिका को न्यायालय तक आने की आवश्यकता नहीं पड़ी जो न्यायालय द्वारा माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के ई-कोर्ट मिशन अंतर्गत प्रदत्त कम्प्यूटर एवं तकनीकों का पूर्ण रूपेण प्रयोग करते हुए उक्त मिशन की सफलता को दर्शाता है।

आपराधिक मामला आपसी राजीनामा से हुआ समाप्त -

मामला खंडपीठ क्र. 20 के पीठासीन अधिकारी श्री रवि कुमार कश्यप, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, प्रकरण में दिनांक 04 नवम्बर 2022 प्रार्थी के द्वारा थाना पुलगांव, जिला-दुर्ग में उपस्थित होकर अभियुक्तगण के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराया गया। प्रार्थी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपीगण के विरूद्ध धारा 294, 323, 506 बी, 34 भा.द.वि. दर्ज कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किये जाने पर आरोपीगण के विरूद्ध अभियोजित अपराध अंतर्गत आरोप विरचित किया गया। आज दिनांक 08 मार्च 2025 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में प्रार्थी के साथ आरोपीगण न्यायालय में उपस्थित होकर न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने पर राजीनामा करना व्यक्त करते हुए वर्तमान में आरोपीगण के साथ उसका अच्छा संबंध बन गया है और वह आरोपीगण के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं चाहना व्यक्त कर बिना किसी डर, दबाव और लालच के प्रकरण में राजीनामा हुआ, जिसके उपरांत आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में राजीनामा के आधार पर प्रकरण समाप्त हो जाने से उभय पक्षकारगण न्यायपालिका की प्रक्रिया से बहुत खुश हुए और आपस में पुनः मधुर संबंध स्थापित करते हुए खुशी-खुशी अपने घर लौट गए।