नकली पुलिस वाला बनकर महिला से 58 लाख रुपए की ठगी, पकड़ा गया आरोपी
रायपुर। डिजिटल अरेस्ट के नाम से पंडरी निवासी 58 वर्षीय महिला से ठगी करने वाले वाले आरोपी को रेंज साइबर थाना रायपुर ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी से ठगी के 9.50 लाख रुपए नगद पुलिस ने जब्त किया है।
प्रार्थिया एमवीएसएस लक्ष्मी ने रिपोर्ट दर्ज कराई की अज्ञात मोबाइल नंबर धारकों ने खुद को क्राइम ब्रांच मुंबई पुलिस का होना बताकर प्रार्थीया के आधार कार्ड का दुरुपयोग से 311 बैंक अकाउंट खोलने की झूठी बात बताकर डराया और 24 घंटे व्हाट्सएप वीडियो कॉल में जुड़े रहने बोलकर डिजिटल अरेस्ट कर 58 लाख रुपए की ठगी कर ली। रिपोर्ट पर थाना पंडरी(मोवा) में अपराध क्रमांक 305/24 धारा 318(4), 3(5) बीएनएस पंजीकृत कर विवेचना रेंज साइबर थाना रायपुर को सौंपी गई।
पुलिस महानिरीक्षक रायपुर रेंज अमरेश मिश्रा द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए रेंज साइबर थाना रायपुर को तकनीकी साक्ष्य एकत्र कर आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी करने एवं ठगी की रकम होल्ड जप्त करने के संबंध में निर्देश दिया गया। रेंज साइबर थाना रायपुर द्वारा प्रकरण में संलिप्त सभी आरोपियों की पहचान कर घटना में शामिल आरोपी जसविंदर सिंह साहनी पिता दिलबाग सिंह साहनी उम्र 58 वर्ष राजनंदगांव को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी से ठगी से प्राप्त की गई रकम 9.50 लाख रुपए, बैंक खाता, चेक बुक, मोबाइल जप्त किया गया है।
ऐसे की जाती है साइबर ठगी
साइबर ठग ऑनलाइन ठगी के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए झांसे में लेकर लोगों से रुपये भी मांग रहे हैं। हाल ही में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ठगों ने खुद को पुलिस वाला बताकर ठगी की कोशिश की। साइबर ठग अभिभावकों को कॉल करके उनके बेटे-बेटियों के हिरासत में होने की बात कहकर धमकाते हैं। वह खुद को पुलिस या कस्टम अफसर बताकर बात करते हैं और ड्रग, सेक्स रैकेट जैसे मामले में बच्चों को पकड़ने की बात कहते हैं। हिरासत से रिहा करने के बदले परिजनों से रुपये मांगे जाते हैं। ऐसे लोगों को खासतौर पर निशाना बनाते हैं जिनके बच्चे दूसरे शहरों में रहकर पढ़ाई या नौकरी करते हैं। पुलिस का नाम सुनकर परिजन घबरा जाते हैं और जाल में फंस जाते हैं। साइबर ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों से आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए रुपये की मांग भी कर रहे हैं।
आम जनता से पुलिस की अपील
- बच्चों को हिरासत में लेने की कॉल आए तो पहले बच्चे या उसके साथियों को कॉल करके सुनिश्चित करें कि क्या मामला है? ऑनलाइन रुपये न दें।
- डिजिटल हिरासत की स्थिति बने तो ठगों की कॉल डिस्कनेक्ट कर तत्काल पुलिस को सूचना दें।
- मुकदमों में कार्रवाई और आरोपी को पकड़ने की बात कहकर रुपये मांगने की कॉल आए तो स्पष्ट मना कर दें।
- अनजान वीडियो कॉल न उठाएं। क्योंकि न्यूड वीडियो बनाकर ठगी के मामले बढ़े हैं, इनसे सावधान रहें।
- रात में सोते वक्त मोबाइल पर इंटरनेट बंद करना भी ठगी से बचाता है।
- किसी नए लिंक पर क्लिक न करें, आपकी निजी जानकारी ठगों को मिल सकती है।
- किसी को ओटीपी न बताएं, बैंक संबंधी डिटेल न दें।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर स्कैम है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई और दिल्ली या मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर आत्मविश्वास से बात करते हैं। वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर जब कनेक्ट करते हैं तो आपको फर्जी अधिकारी एकदम असली से लगते हैं। वे लोग पीड़ित इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं।
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