युवती के हत्यारे को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

युवती के हत्यारे को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

अंबिकापुर। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश नीलिमा सिंह बघेल की अदालत ने मंगलवार को हत्या और साक्ष्‌य छिपाने के एक ऐसे मामले में आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जिसमें कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था लेकिन आरोपित के बताए अनुसार शव की बरामदगी तथा आरोपित के घर से मृतका का एटीएम कार्ड तथा पुराना मोबाइल बरामद किया गया था। आरोपित को अर्थदंड की सजा भी सुनाई गई है। अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हत्या के मामले में किसी प्रत्यक्षदर्शी के नहीं होने पर आरोपित के बताए अनुसार ही शव बरामद किया जाना घटना में उसी के शामिल होने को प्रमाणित करता है। अतिरिक्त लोक अभियोजक हेमंत तिवारी ने बताया कि बलरामपुर जिले के चांदो थाना क्षेत्र की युवती के लापता हो जाने की शिकायत बीते 27 नवंबर 2019 को कोतवाली अंबिकापुर में दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने मृतका के मोबाइल नंबर को जांच का आधार बनाया था।मृतका के मोबाइल नंबर से जिस व्यक्ति से सर्वाधिक बार बात हुई थी वह सीतापुर थाना क्षेत्र के ग्राम राजापुर उरांवपारा निवासी जोहनदीप टोप्पो ( 25 वर्ष ) का था। संदेह के आधार पर पुलिस ने जोहनदीप टोप्पो को हिरासत में लिया था। पूछताछ किए जाने पर उसने स्वीकार किया था कि मृतका द्वारा शादी के लिए दबाव बनाए जाने के कारण उसने बीते 19 नवंबर 2019 को उसकी हत्या कर दी थी और शव को नदी के रेत में दफन कर दिया था। आरोपित द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कार्यपालिक दंडाधिकारी की उपस्थिति में मृतका के शव को बरामद किया गया था।पुलिस ने हत्या और साक्ष्‌य छिपाने के आरोप में आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय के निर्देश पर जेल दाखिल करा दिया था।प्रकरण में कोई भी चक्षुदर्शी साक्ष्‌य नहीं था। ऐसे में न्यायालय में सभी तथ्यों की सुनवाई हुई। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश नीलिमा सिंह बघेल की अदालत ने कहा कि शव को ढूंढ निकालना एक ऐसा तथ्य है जो सिर्फ और सिर्फ आरोपित के द्वारा ही बताया जा सकता है। इसे दोष सिद्धि के लिए निश्चयकारक के रूप में लिया जा सकता है। इस मामले में चूंकि बरामदगी आरोपित के बताए अनुसार की गई थी, इतना ही नहीं आरोपित के घर की अलमारी से मृतका का पुराना मोबाइल नंबर और उसका एटीएम कार्ड भी बरामद हुआ था जिसमें उसका नाम भी लिखा हुआ था। इस प्रमाण को हत्या और साक्ष्‌य छिपाने का पुख्ता सबूत मांगते हुए अदालत ने आरोपित को धारा 302 के तहत उम्रकैद और एक हजार अर्थदंड तथा धारा 201 के तहत तीन वर्ष कारावास और एक हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर आरोपित को पृथक- पृथक तीन-तीन माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।