फर्जी मेडिकल रिपोर्ट पेश कर युवक को भेजवाया जेल, खुलासे के बाद पुलिस ने अस्पताल संचालक को भेजा नोटिस
जिस समय मेडिकल रिपोर्ट थाने में पेश किया गया था उस दौरान अस्पताल ही बंद हो गया था
( शक्ति सिंह जिसे जेल में डाल दिया गया)
(उत्कर्ष दुबे, जिसके साथ शक्ति सिंह की मारपीट हुई थी)
(मैनेजर अंकित दुबे जिस पर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का लगा है आरोप)
बिलासपुर। एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है जिसमें मामूली विवाद पर एक युवक को फर्जी मेडिकल रिपोर्ट पेश कर जेल भेज दिया गया। मामले का खुलासा होने पर पुलिस ने अब स्काई अस्पताल के मैरेजर अंकित दुबे और संचालक डॉ. पलक जायसवाल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। हैरानी की बात है कि जब मेडिकल रिपोर्ट तैयार किया गया, उस समय अस्पताल ही बंद हो गया था। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है।
मिली जानकारी के अनुसार सिविल लाइन पुलिस ने कुछ समय पहले सरकंडा के जबड़ापारा निवासी शक्ति सिंह ठाकुर को हत्या के प्रयास केस में जेल भेज दिया। शक्ति सिंह की मां और कांग्रेस नेत्री आशा सिंह उस समय शहर से बाहर थीं। वापस आने पर उन्होंने बेटे के जेल जाने की जानकारी जुटाई, तब पुलिस और अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत का मामला सामने आया। उन्होंने बताया कि स्काई हॉस्पिटल के मैनेजर अंकित दुबे के भाई उत्कर्ष दुबे और शक्ति सिंह के बीच राजेंद्र नगर चौक में मारपीट हुई थी। शुरुआत में ही साधारण मारपीट की इस घटना में गैरजमानतीय धारा जोडऩे के लिए पहले दबाव बनाया गया। इसमें सफलता नहीं मिलने पर फर्जी मेडिकल बनाने का यह फर्जीवाड़ा किया गया। आशा सिंह ने बताया कि अस्पताल के मैनेजर अंकित दुबे ने अपने भाई उत्कर्ष दुबे का फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने के लिए अस्पताल संचालक डॉ. पलक जायसवाल से सांठगांठ किया। दोनों ने मिलकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव सकूजा और न्यूरो सर्जन डॉ. नरेश कृष्णानी का फर्जी हस्ताक्षर किया और सील लगाकर थाने में जमा कर दिया। इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद दोनों डॉक्टरों ने उनके खिलाफ सरकंडा थाने में केस दर्ज कराया है, जिसकी पुलिस जांच कर रही है।
आशा सिंह ने आरोप लगाया है कि जिस स्काई हॉस्पिटल की संचालिका और शहर की प्रसिद्ध समाजसेविका डॉ. पलक जायसवाल थीं। पलक जायसवाल ने स्काई हॉस्पिटल को जनवरी 2022 से मई 2022 तक संचालिल कर रहीं थीं। इसके बाद अस्पताल बंद हो गया। वहीं सिविल लाइन थाना परिवेश तिवारी का कहना है कि मारपीट के केस में पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर धारा 307 जोड़कर कार्रवाई की। जांच के दौरान पता चला कि निजी हॉस्पिटल के संबंधित डॉक्टर ने क़ोई रिपोर्ट नहीं दिया है। बल्कि उनके हस्ताक्षर और सील फर्जी हैं। प्रकरण में पुलिस की जांच जारी है।