पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: वोटिंग के साथ-साथ हिंसा भी, गोलीबारी और बम फटने से 6 लोगों की मौत

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: वोटिंग के साथ-साथ हिंसा भी, गोलीबारी और बम फटने से 6 लोगों की मौत

कोलकाता (एजेंसी)। बड़े पैमाने पर हिंसा और हत्याओं के बीच पश्चिम बंगाल में आज त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव  हो रहे हैं। इसे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा। आज 22 जिला परिषदों में लगभग 928 सीटों, 9730 पंचायत समितियों और 63,229 ग्राम पंचायत सीटों के लिए लगभग 5.67 करोड़ लोग वोट डाल रहे हैं। वोटों की गिनती 11 जुलाई को होगी। पूरे राज्य में कड़ी सुरक्षा के बीच पंचायत चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं। चुनाव से पहले हुई हिंसा में दजर्नों लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं। सुबह से पोलिंग बूथ पर लोगों की भीड़ है। हालांकि अलग-अलग जगहों से तोड़-फोड़ और हिंसा की खबरें आ रही हैं। अज्ञात उपद्रवियों ने कथित तौर पर 6/130 बूथ, बरविटा प्राइमरी स्कूल में तोड़फोड़ की। कुछ जगहों से बूथ लूटे जाने की खबरें भी आ रही हैं। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बंगाल चुनाव के दौरान छह लोगों की हत्या हो चुकी है।

पंचायत चुनावों को शांति से कराने के लिए लगभग 65,000 केंद्रीय पुलिस कर्मियों और 70,000 राज्य पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। इसके बावजूद हिंसा थम नहीं रही है। पंचायत चुनाव से पहले मुशिर्दाबाद के शमशेरगंज इलाके में टीएमसी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। पुलिस मौके पर मौजूद है। हिंसा को देखते हुए गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक निर्देश जारी किया. इसमें कहा गया कि 11 जुलाई को पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद भी 10 दिनों तक केंद्रीय बल पूरे पश्चिम बंगाल में तैनात रहेंगे। बड़े पैमाने पर जिन इलाकों में हिंसा हुई है, उनमें भांगर, मुर्शिदाबाद, कूचबिहार, बसंती, नंदीग्राम और बीरभूम शामिल हैं।

इस बार के पंचायत चुनाव में मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला होने का अनुमान है। वाम मोर्चा और कांग्रेस  भी पंचायत चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। 2018 के पंचायत चुनावों में टीएमसी ने 90 प्रतिशत पंचायत सीटें हासिल कीं और सभी 22 जिला परिषदों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। हालांकि इन चुनावों में बड़े पैमाने पर हिंसा और धांधली हुई थी। विपक्ष ने तब भी दावा किया था कि उन्हें कई जगहों पर पर्चा दाखिल करने से रोका गया था।