पढ़ाई का दबाव अगर विद्यार्थियों को मरने के लिए मजबूर कर दे तो ऐसी शिक्षा का क्या मतलब-डॉ. शर्मा 

रोटरी क्लब ऑफ भिलाई स्टील सिटी ने शिक्षक-शिक्षिकाओं का किया सम्मान

पढ़ाई का दबाव अगर विद्यार्थियों को मरने के लिए मजबूर कर दे तो ऐसी शिक्षा का क्या मतलब-डॉ. शर्मा 

अच्छा शिक्षक ही कर सकता है बेहतर समाज का निर्माण, ऐसा शिक्षक बनें की विद्यार्थी दिल से करें याद
भिलाई। रोटरी क्लब ऑफ भिलाई स्टील सिटी द्वारा शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन 9 सितंबर को प्रगति भवन ऑफिसर्स एसोसिएशन बिल्डिंग, सिविक सेंटर भिलाई में किया गया। इस आयोजन में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 25 शासकीय व निजी स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को शॉल, श्रीफल व प्रमाणपत्र भेंद कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एचओडी कॉमर्स डिपार्टमेंट कल्याण कॉलेज भिलाई तथा छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष डॉ. प्रमोद शंकर शर्मा थे। अध्यक्षता ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ भिलाई स्टील प्लांट के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर ने की। कार्यक्रम में रोटरी क्लब ऑफ भिलाई स्टील सिटी के अध्यक्ष डॉ. आरके श्रीवास्तव, सचिव ललित वर्मा, पूर्व अध्यक्ष राजदीप सेन सहित बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं व क्लब के सदस्य मौजूद थे। मंच संचालन  रमेश पटेल और विश्वरतन सिन्हा ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. प्रमोद शंकर शर्मा ने उपस्थित शिक्षक- शिक्षिकाओं को मोटिवेट किया। डॉ. शर्मा ने कहा कि एक समय ऐसा था जब बच्चे ट्यूशन नहीं बढ़ते थे, न ही कोई स्कूल या कॉलेज के शिक्षक ट्यूशन पढ़ता था। क्योंकि उस समय ट्यूशन पढऩे वाले बच्चे अच्छे विद्यार्थी नहीं माने जाते थे। कोई बच्चा अगर ट्यूशन पढ़ता भी था तो वह उसे छिपाता था। वर्तमान में इसमें काफी परिवर्तन आया है। अभी अगर कोई बच्चा 2 सब्जेक्ट का ट्यूशन पढ़ता है तो बताता है कि 4 सब्जेक्ट का ट्यूशन पढ़ता है। इस मामले में हमारा पूरा एजुकेशन सिस्टम पैरालाइज्ड हो चुका है। उस समय कोई शिक्षक अगर ट्यूशन पढ़ाता भी था तो लोगों को नहीं बताता था। वर्तमान में शिक्षक अगर 50 ट्यूशन पढ़ता है तो बताता है कि वह 400 ट्यूशन पढ़ाता हूं क्योंकि इसका व्यापारीकरण हो गया। पहले शिक्षकों द्वारा फेल हुए व कमजोर विद्यार्थियों को अपने घर में बुलाकर पढ़ाया जाता था, वह भी फ्री में। क्योंकि उस समय शिक्षक इसे अपनी नैतिक जिम्मेदरी समझते थे लेकिन वर्तमान में ऐसे कम ही शिक्षक होंगे जो कमजोर व फेल हुए विद्यार्थियों को घर पर बुलाकर फ्री में पढ़ाते होंगे। उस समय शिक्षक-शिक्षिकाओं को लगता था कि अगर स्कूल में 5-6 घंटे पढ़ाने के बाद भी अगर कोई बच्चा फेल हो रहा है तो वे अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझते हुए घर में बुलाकर पढ़ाया करते थे। एक शिक्षक को बहुत कुछ त्यागना पड़ता है जैसे एक सेना का जवान अपने देश की रक्षा के लिए सब कुछ त्यागकर अपने सीने में गोली खाने को तैयार रहता है। शिक्षिकों की बात करें तो वर्तमान में ऐसा नहीं है। शिक्षक-शिक्षिकाएं विद्यार्थियों के साथ ऐसा संबंध बनाए कि वे दिल से अपने टीचर को याद करें। आज बिना फीस के कोई टीचर नहीं पढ़ाता। अगर फीस देने में देरी हुई तो ट्यूशन से निकाल दिया जाता है। ऐसे शिक्षकों के लिए विद्यार्थियों के मन में अच्छी भावनाएं नहीं होती। आज पढऩे के बाद कल भूल जाते हैं। एक अच्छे समाज की निर्माण के लिए हमें इन चिजों से ऊपर उठना पड़ेगा। आज पूरा देश में धन का उन्माद है और इस उन्माद को  नारेबाजी से खत्म कारने का प्रयास किया जा रहा है। यह नारेबाजी से खत्म नहीं होगा। आज के धार्मिक उन्माद को संभालने के लिए एक अच्छा शिक्षक बहुत जरूरी है। विद्यार्थी किसी की बात माने या न माने लेकिन वह शिक्षक की बात जरूर मानते हैं क्योंकि विद्यार्थी गहराई से शिक्षक के साथ जुड़े होते हैं। जिस राम का नारा लगाते हैं पहले उस राम के अच्छाईयों को अपने अंदर लाना होगा। अगर शिक्षक अच्छा विद्यार्थी नहीं बना पाएंगे तो  कैसे एक अच्छे समाज का निर्माण करेंगे। इसलिए एक शिक्षक का दायित्व बहुत महत्वपूर्ण होता है। डॉ. प्रमोद शंकर शर्मा ने बताया कि सन् 2022 व 2023 में कोटा में अध्यक्षयरत करीब 45 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। डॉ. शर्मा ने अध्ययन में पाया कि मरने वाले सभी बच्चे अंगे्रजी माध्यम के हैं। यह विद्यार्थी किसी स्पोट्र्स से नहीं जुड़े हुए थे। विद्यार्थी दिन-रात केवल पढ़ाई ही करते थे। ऐसे में विद्यार्थियों पर दबाव बहुत बढ़ जाता है। बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों से भी जोडऩा चाहिए। पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी जरूरी है। कोई शिक्षा अगर बच्चे को मरने के लिए मजबूर कर दे तो ऐसी शिक्षा का क्या मतलब है। 

इन शिक्षक-शिक्षिकाओं का किया गया सम्मान
सम्मान होने वाले शिक्षक-शिक्षिओं में ममता साहू माध्यमिक विद्यालय रसमड़ा, नीलिमा श्रीवास्तव प्राथमिक शाला सरदार वल्लभ भाई पटेल दुर्ग, पोशन कुमार मारकंडे शासकीय मीडिल स्कूल डुमरडीह, अश्विनी कुमार देवांगन शासकीय प्राथमिक शाला ढौर जामुल, राहुल कुमार झा शासकीय प्राथमिक विद्यालय नयापारा दुर्ग, सरोजनी बघेल शासकीय मीडिल स्कूल पुलगांव दुर्ग, ठाकुर राम यादव शासकीय हाईस्कूल कैम्प-2 भिलाई, किरण पाठक, शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला उमरपोटी दुर्ग, दीपलाल साहू शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला डांडेसरा दुर्ग, सुलेखा सर्पे प्रधान पाठक शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पोटियाकला दुर्ग, किशोरी नितिन काटेकर श्री शंकरा विद्यालय सेक्टर-10 भिलाई, रमनप्रीत कौर सैनी गुरुनानक स्कूल सेक्टर-6 भिलाई, वर्षा जार्ज सेंट थामस स्कूल भिलाई, ज्योतस्ना सिंह कृष्णा पब्लिक स्कूल सुंदर नगर भिलाई, सत्रुजित सिंह  कृष्णा पब्लिक स्कूल सुंदर नगर भिलाई, मंजु खुबवानी कांति दर्शन महाविद्यालय कोसानगर भिलाई, शुभ्रा भट्टाचार्जी शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कृष्णानगर भिलाई, चन्द्रकला साहू शासकीय मीडिल स्कूल कृष्णानगर सुपेला भिलाई, डॉ. ज्योति शर्मा प्रधान पाठक कांतिदर्शन महाविद्यालय, किरण टाटिया मैत्री विद्यानिकेतन रिसाली, तूलाराम साहू शैल देवी महाविद्यालय अंडा,  डॉ. रश्मि पाण्डेय, गुरविंदर कौर, अशोक कुमार वर्मा शामिल हैं।