निजीकरण के खिलाफ फेरो स्क्रैप वर्कर्स यूनियन ने औद्योगिक परिवाद दायर कर शुरू की कानूनी लड़ाई
भिलाई। स्क्रैप निगम लिमिटेड को भारत सरकार द्वारा विनिवेश की पद्धति में लाते हुए जापान की कंपनी कोनोइका ट्रांसपोर्टिंग प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिए जाने के विरुद्ध निरंतर विरोध जारी है। इसी कड़ी में फेरो स्क्रैप वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष अरुण सिंह सिसोदिया द्वारा केंद्रीय उप श्रम आयुक्त रायपुर को एक औद्योगिक परिवार दाखिल कर इस पर अभिलंब रोक लगाने हेतु अग्रिम कार्रवाई करने की अपील की है।
विदित हो कि पूर्व में इस विनिवेश को लेकर दो दिवसीय देशभर में फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड की सभी इकाइयों में हड़ताल हुई थी जिससे कि उत्पादन सेल ,आर आई एन एल, का नगरनार स्टील प्लांट का उत्पादन बहुत बुरी तरह का प्रभावित हुआ था। उसके पश्चात यूनियनों के द्वारा कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस पर रोक लगाने की मांग की गई जिसके फलस्वरुप उच्च न्यायालय कोलकाता ने भारत सरकार, एमएसटीसी फेरो स्क्रैप निगम, स्टील सेक्रेटरी को तलवाना भेज दिसंबर तक जवाब मांगा है। कर्मचारियों में उम्मीद है कि कहीं ना कहीं राहत मिलेगी। अपने औद्योगिक परिवाद में अरुण सिंह सिसोदिया ने मांग किया है कि स्थाई सेवा आदेश के अनुसार और स्थाई नियुक्ति आदेश के अनुसार सेवा शर्तों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता और परिवर्तन करने की स्थिति में सभी यूनियनों प्रबंधन और सहायक श्रमिक के बीच त्रिपक्षीय लिखित समझौता अनिवार्य होता है। क्योंकि जिस समय वैकेंसी निकल कर नियुक्ति पत्र दिए गए उसे आधार में सेवा शर्तें अपनी रिटायरमेंट की उम्र यानी 60 वर्ष तक निर्धारित मानी जाती है। पर अगर कोनोइका कंपनी के द्वारा मात्र एक वर्ष की ही सेवा की गारंटी दी जा रही है यह समय के सेवा शर्तों का उल्लंघन है।
आईडी एक्ट 1947 और ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 का पूर्णता उल्लंघन है। साथ ही ऐसी किसी भी बदलाव के लिए जाने से पूर्व जिस कर्मचारी की जितनी सेवा बची है उसके अनुरूप उसके अनुसार वालंटियर रिक्वायरमेंट वह अपनी पूर्व सेवा बची हुई को पूर्ण करने की लिखित गारंटी इस आदेश में होनी आवश्यक है। इन बातों को लेकर यूनियन ने स्पष्ट मांग की है कि ऐसे किसी भी आदेश को वह मानने के लिए बाध्य नहीं है। क्योंकि फेरो स्क्रैप की पूरे देश भर में इकाइयां हैं और यह सब के रोजगार से जुड़ा हुआ विषय है ऐसी स्थिति में उप सहायक श्रमायुक्त शीघ्र नोटिस जारी कर बैठक बुलाकर प्रबंधन को निर्देशित करें कि ऐसे किसी भी कार्य को ना किया जाए जिससे कि कर्मचारियों की सेवा शर्तों का उल्लंघन हो यूनियन ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई लड़ने हेतु सभी कर्मचारी वचनबद्ध हैं।