सऊदी अरब के रेगिस्तानी तूफान में फंसकर भिलाई के युवक सहित दो मौत, हेलीकाप्टर से खोजबीन के बाद मिली लाश
भिलाई। भिलाई के एक युवक की मौत की सऊदी अरब के रेगिस्तान में फंसकर मौत हो गई। इस घटना से परिवार में शोक लहर दौड़ पड़ी।
जानकारी के अनुसार सेक्टर-7 भिलाई निवासी शहजाद खान (29 वर्ष) विगत 7 साल से सऊदी अरब में एक टेली-कम्युनिकेशन कंपनी में सर्वेयर के रूप में कार्यरत थे। अपनी नौकरी के सिलसिले में उन्हें रेगिस्तान में भेजा गया था, जहां दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो गई।
घटना 19 अगस्त को हुई जब शहजाद और उनके एक सुडान निवासी सहकर्मी को अल हुफुफ से रेगिस्तान की तरफ सर्वे के लिए भेजा गया था। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान दिशा भटकने से बचने के लिए जीपीएस ट्रैकर का उपयोग किया। लेकिन, रेगिस्तान के बीच में अचानक उनका जीपीएस सिग्नल बंद हो गया और उनकी गाड़ी रेत में फंस गई। इस बीच एक जबरदस्त रेगिस्तानी तूफान आया और दोनों रास्ता भटक गए।
तीन दिनों तक शहजाद और उनका साथी अपनी मंजिल ढूंढने की कोशिश करते रहे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इस दौरान गाड़ी का पेट्रोल भी खत्म हो गया। उनका फोन भी बंद हो गया। रेगिस्तान की तपती गर्मी और बिना पानी-खाने के कारण उनकी स्थिति बिगड़ गई, और दोनों ने दम तोड़ दिया। शहजाद का शरीर गर्म रेत के कारण बुरी तरह झुलस गया और काले पड़ गए थे, जो उनकी मौत की भयानक स्थिति को दर्शाता है।
जब शहजाद अपनी कंपनी में वापस नहीं लौटे तो कंपनी ने उनकी खोजबीन शुरू की। पहले दिन दो हेलीकॉप्टर भेजे गए, लेकिन कोई पता नहीं चला। अगले दिन चार और हेलीकॉप्टरों को भेजा गया, जो तीन दिनों तक उनकी तलाश करते रहे। अंततः 22 अगस्त को शहजाद और उनके साथी की गाड़ी रेगिस्तान के बीचों-बीच दिखी। जब बचाव दल गाड़ी के पास पहुंचे, तो दोनों की लाशें वहां पड़ी मिलीं।
इसके बाद, सऊदी पुलिस ने शवों को निकालकर कानूनी प्रक्रिया पूरी की और शहजाद के शव को भारत भेजने की तैयारी शुरू की। 5 सितंबर को शहजाद का शव हैदराबाद एयरपोर्ट पहुंचा, जहां से उनके परिवार ने उसे उनके पैतृक गांव करीमनगर, तेलंगाना लेकर गए।
6 सितंबर को शहजाद का अंतिम संस्कार करीमनगर में उनके परिवार के बीच किया गया। शहजाद के परिवार में उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं, जिनके लिए यह समय अत्यंत कठिन और दुखद है। शहजाद की मौत उनके परिवार के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। शहजाद के पिता पहले से ही गुजर चुके हैं, और परिवार की सारी जिम्मेदारी शहजाद के कंधों पर थी।