पूर्वोत्तर में जनजातीय समूहों से हुआ समझौता; 1170 उग्रवादी करेंगे सरेंडर
गुवाहाटी। भारत सरकार, असम सरकार और पूर्वोत्तर के आठ आदिवासी उग्रवादी समहों ने गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन उग्रवादी समूहों ने शांति स्थापित करने में सरकार की मदद करने का आश्वासन दिया है। असम के मुख्यमंत्री ने बताया कि समझौते के तहत 1170 उग्रवादी समर्पण करेंगे। इसके अलावा 300 से ज्यादा ऑटोमैटिक वेपर सरकार को सौंप दिए जाएंगे। असम में शांति स्थापित करने की ओर यह बड़ा कदम है।
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर में जो काम हो रहा है उससे यह देश की अष्टलक्ष्मी बनेगा। सरमा ने मदरसों को तोड़ने को लेकर कहा कि जहां भी गड़बड़ हुआ है वहीं ऐसी कार्रवाई की गई है। वहीं उग्रवादी समूहों के साथ समझौते के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार 2024 तक हर विवाद को खत्म करना चाहती है और पूर्वोत्तर में शांति बहाल करना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से जनजाति समूहों को न्याय मिलेगा और आगे बढ़ने का मौका भी मिलेगा।
केंद्र और असम सरकार के साथ समझौता करने वाले समूहों में आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, आदिवासी कोबरा मिलिटेंट, बिरसा कमांडो फोर्स, आदिवासी पीपल्स आर्मी, संथाल टाइगर फोर्स शामिल हैं। बीसीएफ-बीटी (BCF-BT), एसीएमए-एफजी (ACMA-FG) ने भी समझौते पर साइन किए हैं।
समझौते से दूर दो उग्रवादी संगठन
दो ऐसे भी उग्रवादी संगठन हैं जिन्होंने समझौते से दूरी बना ली। इसमें प्रतिबंधित उल्फा का कट्टरपंथी गुट कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन शामिल हैं। बता दें कि उल्फा से भी सरकार ने बातचीत शुरू की थी। हर साल यह संगठन स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बंद का आह्वान करता था लेकिन पिछले साल उसने ऐसा नहीं किया था। इस साल फिर उसने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बंद का आह्वान किया था।
पूर्वोत्तर में उग्रवादी हिंसा में कमी!
मार्च के महीने में केंद्र सरकार ने दावा किया था कि पूर्वोत्तर के राज्यों में 2014 के मुकाबले हिंसा में 74 फीसदी की कमी आई है। सरकार ने कहा था कि आम नागरिकों के मारे जाने की घटनाओं में 89 फीसदी की और सुरक्षा बलों के कर्मियों के मारे जाने की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी आई है। गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि कई विद्रोही समूह बातचीत के लिए आगे आ रहे हैं और उन्होंने हिंसा रोक दी है।