उधारी के 30 लाख वापसी के लिए भिलाई वेंकटेश्वर टाकीज में अनशन पर बैठा नेत्रहीन बुजुर्ग

उधारी के 30 लाख वापसी के लिए भिलाई वेंकटेश्वर टाकीज में अनशन पर बैठा नेत्रहीन बुजुर्ग

उधारी के 30 लाख वापसी के लिए भिलाई वेंकटेश्वर टाकीज में अनशन पर बैठा नेत्रहीन बुजुर्ग
भिलाई। सुपेला स्थित वेंकटेश्वर सिनेमा हाल में 68 वर्षीय एक दृष्टिहीन बुजुर्ग ने सोमवार को 10 घंटों तक आमरण अनशन किया। आरोप है कि टॉकीज के संचालक राजेश्वर राव उर्फ राजा बाबू ने महिला से 30 लाख रुपए ब्याज पर लिए थे, लेकिन अब नहीं लौटा रहे हैं। सूचना पर नायब तहसीलदार श्याम लाल साहू और सुपेला थाना पुलिस पहुंची। उनके समझाने पर बुजुर्ग घर तो चला गया, पर कहा कि वहां भी अनशन जारी रहेगा।
दृष्टिहीन बुजुर्ग के आमरण अनशन करने की जानकारी मिलते ही कलेक्टर ने रात 10 बजे नायब तहसीलदार श्याम लाल साहू और पुलिस को भेजा। उनके समझाने पर पी रामू घर तो चला गया, लेकिन उसने आमरण अनशन नहीं तोड़। बुजुर्ग का कहना है कि वो मंगलवार को एसडीएम दुर्ग के सामने अपनी बात रखेगा। उसे उसके रुपए मिले तो ठीक नहीं तो वो अपना आमरण अनशन जारी रखेगा, चाहे इसमें उसकी मौत क्यों न हो जाए।
आमरण अनशन पर बैठे बुजुर्ग हाउसिंग बोर्ड कालोनी जामुल निवासी पी रामू है। उसने बताया कि भिलाई सेक्टर एरिया निवासी राजेश्वर राव उर्फ राजा बाबू वेंकटेश्वर टॉकीज के केयर टेकर हैं। उन्होंने हाउसिंग बोर्ड में ही रहने वाले एक व्यक्ति से ब्याज पर रुपए लिए थे। टॉकीज का मैनेजर केवीएस कामेश्वर बुजुर्ग का साला है और वह हर महीने रकम लौटाने के लिए आता था। एक दिन जब कामेश्वर ब्याज की रकम छोड़ने आया तो बुजुर्ग ने उससे कहा कि राजेश्वर राव को रकम लौटाने बोलना। वह जो ब्याज उस व्यक्ति को दे रहे हैं, वो मुझे दे दिला दें। इससे उसका घर चलता रहेगा और बेटियों को अच्छी जगह पढ़ा पाएगा। कामेश्वर के कहने पर पी रामू ने धीरे-धीरे करके 30 लाख रुपए राजेश्वर राव को दे दिए। राजेश्वर राव ने कुछ साल तो ब्याज दिया, लेकिन कोविड के समय से न तो ब्याज दिया और न मूलधन लौटाया।
कोरोना काल में हो गई थी पत्नी की मौत
पी रामू का कहना है कि पहले उसे थोड़ा दिखाई देता था। अब बिल्कुल दिखना बंद हो गया है। इससे वह अपना काम भी नहीं कर पा रहा है। ब्याज के सहारे ही उसका घर चलता था। साल 2021 में उसकी पत्नी की कोविड के चलते मौत हो गई। तब से वो काफी परेशान रहता है। दो बेटियां हैं। एक की एमबीए के बाद बेंगलुरु में जॉब लग गई है। छोटी बीएससी कर रही है। रामू बेटी के साथ बेंगलुरु शिफ्ट होना चाहते हैं। इसलिए वो अपना पूरा पैसा मांग रहे हैं, जिससे उससे बेटियों के हाथ पीले कर सकें। राजेश्वर राव ने रुपए देने से मना कर दिया तो उसने कलेक्टर और एसपी दुर्ग को सूचना देते हुए टॉकीज के अंदर सोमवार दोपहर से आमरण अनशन शुरू कर दिया। पी रामू ने बताया कि कोरोना काल में वो और उसकी पत्नी दोनों कोविड संक्रमित हो गए थे। इलाज में इतना पैसा लगा वो कर्ज के बोझ में दब गया और अपनी पत्नी की जान भी नहीं बचा पाया। कर्जदारों के तगादे से बचने के लिए उसने हाउसिंग बोर्ड कालोनी में स्थित अपने दोनों मकान बेच दिए। अब वो खुद अपनी बेटियों के साथ किराए पर रह रहा है।