आज से बगैर जीपीएस ट्रकों को धान खरीदी केंद्रों में नहीं मिलेगी एंट्री
धान परिवहन में गड़बड़ी रोकने जीपीएस अनिवार्य
गरियाबंद। जीपीएस नहीं लगाने वाले वाहनों को आज से परिवहन के लिए खरीदी केंद्रों में एंट्री नहीं मिलेगी। मॉड्यूल को भी अपडेट किया गया है, जो अनइंस्टॉल जीपीएस वाले वाहनों के नंबर एक्सेप्ट नहीं करेगा। खरीदी केंद्र से लेकर संग्रहण केंद्र तक समर्थन मूल्य में खरीदी धान बगैर किसी गड़बड़ी के पहुंच सके इसके लिए ट्रकों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग का प्रावधान था। यह मॉनिटरिंग जीपीएस सिस्टम से हो रहा था,पर परिवहन के दरम्यान जिले में इसका पालन नहीं हो रहा था। अब इसे कड़ाई से लागू कर दिया गया है।
50 फीसदी परिवहन के बाद प्रशासन ने जीपीएस सिस्टम को कड़ाई से लागू किया है। इसकी मुहिम 15 दिन पहले से मार्कफेड विभाग ने छेड़ रखा था। डीएमओ अमित चंद्राकर ने बताया कि परिवहन में 200 से ज्यादा वाहन का इस्तेमाल अधिकृत ट्रांसपोर्टर द्वारा किया जा रहा है। उपयोग में लाए जा रहे 102 ट्रकों में जीपीएस इंस्टॉल हो चुका है। 5 जनवरी तक उपयोग किए जा रहे सभी वाहनों में जीपीएस इंस्टॉलेशन का वक्त दिया गया था।
जिन वाहनों में जीपीएस लगेगा उन्ही वाहनों के ऑनलाइन परमिट कटेंगे। प्रत्येक खरीदी केंद्र के मॉड्यूल को अपडेट भी किया गया है, जो वाहन के नंबर डालते ही बता देगा कि उसमें जीपीएस लगा है या नहीं। नहीं लगने की स्थिति में उसके परमिट नहीं कटेंगे और न ही परिवहन संबंधित ऑनलाइन दस्तावेज तैयार होगा।
जीपीएस लगाने 5600 रुपए खर्च
अनुबंधित ट्रांसपोर्टर अन्य निजी ट्रांसपोर्टर के वाहनों को कमीशन पर लगाकर परिवहन करवा रहे हैं। देवभोग के अलावा इसमें ओडिशा के ट्रांसपोर्टर भी शामिल हैं, जो सीजी पासिंग की ट्रके चला रहे हैं। जीपीएस लगाने 5600 रुपए खर्च हो रहे हैं। ऐसे में परिवहन में लगे करीब 50 ट्रकों के मालिक इसमे रुचि नहीं दिखा रहे। ये वही वाहन मालिक हैं, जो दूरी वाले केंद्रों में अपनी ट्रके लगाकर अधिकृति ट्रांसपोर्टर के काम को हल्का करते हैं।
15 ट्रक धान गायब होने के बाद से लागू था सिस्टम
वर्ष 2015-16 की खरीदी में जिले के उपार्जन केंद्र से संग्रहण केंद्र जाने निकले 15 ट्रके गायब हो गई थी। गायब धान की कीमत 54 लाख आंकी गई थी. उरमाल खरीदी केंद्र से 4, भेजीपदर से 5, अमलीपदर से 1, जिडार से 2, मैनपुर से 2 व धवलपुर धान खरीदी केंद्र से 1 ट्रक धान गायब हुआ था. इस मामले में पुलिस की जांच में ट्रांसपोर्टर की बड़ी लापरवाही सामने आई थी। त्रिपक्षीय अनुबंध के बिंदुओं का पालन नहीं हुआ था। 3 साल चले जांच के बाद 2018 में तत्कालीन टॉन्सपोर्टर अजय शर्मा, सहयोगी संदीप कोटक के अलावा अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था। जांच में पाया गया था कि बाइक, मोपेड व आटो के नंबर से पेपर तैयार कर धान परिवहन किया गया, जो संग्रहण केंद्र तक नहीं पहुंचा।
मिलर्स उठाव में धांधली की संभावना
माहभर पहले संग्रहण केंद्र के अलावा राइस मिलर्स को सीधे खरीदी केंद्र से धान उठाने ट्रांसपोर्ट परमिट जारी किया गया था। इस परिवहन में एक मात्र पकड़ जीपीएस ही था, जो परिवहन के बाद भी जांच की जाती तो यह बताता कि धान केंद्रों से उठाव के बाद सीधे संबंधित मिल में गया है पर सारा परिवहन बगैर जीपीएस निगरानी के हो चुका है। परिवहन की ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो सके, उसके लिए दूसरा विकल्प यह था कि खाली वाहन के केंद्र में प्रवेश व लोड कर के जाते समय की तस्वीर पोर्टल में अपलोड कराना, लेकिन इस एक मात्र विकल्प का भी कई केंद्रों ने सही ढंग से पालन नहीं किया है. ऐसे में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है।