चार बच्चों की माँ ने पति को छोड़ दूसरे के साथ किया लव मैरिज, 5 साल पहले दूसरे पति की हत्या कर फेंक दी थी खाई में, न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

चार बच्चों की माँ ने पति को छोड़ दूसरे के साथ किया लव मैरिज, 5 साल पहले दूसरे पति की हत्या कर फेंक दी थी खाई में, न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
मृतक और आरोपी पत्नी का फाइल फोटो

कोरबा। चार बच्चों की माँ ने पति को छोड़ दूसरे व्यक्ति के साथ लव मैरिज कर लिया। बच्चों को भी अपने साथ ले गई। कुछ दिन बाद जब बच्चों को लेकर विवाद हुआ तो महिला ने दूसरे पति की हत्या कर चटाई में लपेट खाई में फेंक दिया। पुलिस की जांच में हत्या की पुष्टि हुई और न्यायालय ने साक्ष्य के आधार पर महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

जानकारी के अनुसार सिविल लाइन थाना रामपुर अंतर्गत पथर्रीपारा में विमल वाल्मिकी उर्फ सूर्या अपनी पत्नी सुशीला निषाद (33 वर्ष) व पुत्र के साथ निवासरत था। चार बच्चे की मां होने के बाद भी निजी अस्पताल में काम करने वाली सुशीला ने पति को छोड़ कर विमल से प्रेम विवाह किया था। बच्चे उसके साथ रहते थे। इससे विमल व सुशीला के मध्य विवाद होता था और विमल शराब के नशे में अक्सर मारपीट करता था। 8 नवंबर 2019 को पुन: विवाद होने पर पत्नी सुशीला ने अपने अव्यस्क पुत्र के साथ मिल कर विमल की गला घोंट कर हत्या कर दी। इस कार्य में उसका पुत्र ने भी सहयोग दिया। बाद में शव को चटाई में लपेट कर किराए में कार बुलाई और चालक ललित कुमार घोसले से काफी पाइंट पिकनिक स्थल पर जाने का झांसा दिया। चटाई में शव लपेट कर सुशीला व उसका पुत्र ले गए और खाई में फेंक दिया।  

घटना के बाद चालक ललित को हत्या के मामले में फंसा देने की धमकी देकर चुप कराया। इसके बाद सुशीला ने स्वयं पुलिस थाना में पति के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। इधर कार चालक ललित भी सुशीला के ब्लेकमेलिंग से त्रस्त हो गया और उसने बाद में पूरे घटनाक्रम का जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने 24 जुलाई 2021 को काफी पाइंट में जांच पड़ताल की, तब कंकाल मिला। कंकाल के साथ मिले सामान के आधार पर विमल की पुष्टि होने पर सुशीला व उसके पुत्र को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया। शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने पैरवी करते हुए न्यायालय के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत किया। इसके आधार पर प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गरिमा शर्मा ने आरोपिता को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास तथा पांच सौ रुपये जुर्माना तथा धारा 201, 34 के तहत तीन साल सश्रम कारावास एवं पांच सौ रुपये अर्थदंड से दंडित किया। राशि जमा नहीं करने अतिरिक्त सजा भुगतना होगा।