इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा : विद्युत उपभोक्ताओं को गलत बिल भेजना आपराधिक कृत्य
कोर्ट द्वारा उठाए गए सवाल
1. उपभोक्ताओं के गलत बिजली बिल तैयार करना और भेजना, उपभोक्ता बहीखाता आदि सहित अभिलेखों में फर्जीवाड़ा और फर्जी बिल बनाकर वसूलना, इस तरह के लगातार बिल भेजे जाना और उस आधार पर उपभोक्ताओं से धन की वसूली के लिए कार्रवाई करना, जिसमें जबरदस्ती गिरफ्तारी भी शामिल है, क्या प्रथम दृष्टया यह आईपीसी की धारा 166, 167, 218, 385, 471 के तहत दंडनीय आपराधिक कृत्य हैं?
2. अगर यह आपराधिक कृत्य हैं तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत कार्रवाई की गई है?
3. क्या उपभोक्ताओं के खिलाफ अनधिकृत, अवैध, फर्जी और काल्पनिक बकाया राशि मांगें बनाना और उनसे वसूली के लिए कदम उठाना (जिसमें जबरदस्ती कार्रवाई, गिरफ्तारी शुरू करना, उन्हें परेशान करना और मुकदमेबाजी में घसीटना शामिल है) अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है?
4. क्या राज्य सरकार उपभोक्ताओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना चाहती है?
5. क्या गलत, फर्जी बिजली बिल, रिकॉर्ड और उपभोक्ता खाता बही बनाकर मांग उठाने के मामले में दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं?
6. क्या राज्य सरकार ने उपभोक्ताओं के खिलाफ फर्जी बकाया, फर्जी मांगों की जांच के लिए कोई एजेंसी तय की है। क्या सरकार उपभोक्ता खातों और संबंधित अभिलेखों की लेखापरीक्षा का निर्देश देना चाहेगी?