तन को स्वस्थ रखने के लिए योगासन एवं प्राणायाम बहुत जरूरी

तन को स्वस्थ रखने के लिए योगासन एवं प्राणायाम बहुत जरूरी

दुर्ग। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" के उपलक्ष्य में योग शिविर का आयोजन आनंद सरोवर बघेरा सेवा केंद्र पर किया गया। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि नागेंद्र कुमार सिंग - जिला सेनानी एवं अग्नि शमन अधिकारी नगर सेना दुर्ग, ब्रह्माकुमारीज दुर्ग की मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी रीटा बहन जी एवं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका रुपाली बहन द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात् इस योग दिवस में आये हुए भाई- बहनों को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी रीटा बहन जी ने कहा की तन को स्वस्थ रखने के लिए योगासन एवं प्राणायाम बहुत जरूरी है। योगासन करने से हमारा शरीर तंदुरुस्त और शक्तिशाली बनता है। प्राणायाम करने से श्वांस की गति स्थिर एवं आयु बढ़ती है। पतंजलि अष्टांग योग के आठ सूत्र हैं जिसमें दो सूत्र तो बहुत प्रचलित हैं लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण सूत्र ध्यान है। राजयोग सबसे सुन्दर और सहज ध्यान पद्धति है। मन को शक्तिशाली और आनंदमय बनाने के लिए राजयोग का अभ्यास बहुत जरूरी है। "योग" शब्द संस्कृत के "यूज" धातु से बना है। जिसका अर्थ होता है जोड़ना। स्वयं को आत्मा समझकर जब हम मन बुद्धि का तार परमपिता परमात्मा शिव से जोड़ते हैं तो हमें परमात्मा से शांति, आनंद, शक्ति एवं दिव्य गुणों की अनुभूतियां होती है क्योंकि परमपिता परमात्मा शिव इन दैवीय गुणों का विशाल भंडार है, सागर है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का इस वर्ष का थीम मानवता हैं। मानवता के लिए जो सबसे आवश्यक गुण करुणा, दया, क्षमा, सद्भावना, सहयोग आदि है। जब हम परमपिता परमात्मा से राजयोग के द्वारा संबंध जोड़ते हैं तो इन गुणों का विकास हमारे जीवन में होने लगता है। हमारे जीवन में मानवीय मूल्यों का विकास होने से मानवता समृद्ध होगा और एक बेहत्तर विश्व का निर्माण हम कर पायेंगे। भारत को विश्व गुरु बनाना चाहते हैं वह सपना भी हमारा साकार होगा।

 वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्मकुमारी रूपाली दीदी जी ने बताया की जैसी हमारी सोच, वैसे रसायन हमारी शरीर में बनते हैं।  इसी तथ्य के आधार पर हम बीमार रहे या स्वस्थ - यह निश्चित होता है। हमारे हर विचार का प्रभाव शरीर के प्रत्येक कोशिकाओं पर पड़ता है इसलिए हमें अपने विचारों के प्रति जागृत होने की जरूरत है। हमेशा सकारात्मक विचार करना चाहिए ताकि उसका असर हमारे शरीर पर सकारात्मक हो। हम अपनी डाइट पर भी ध्यान देते हैं, एक्सरसाइज भी करते हैं, बहुत सारी बाहरी विधियां अपनाते हैं। लेकिन अपने विचारों के प्रति जागृत नहीं होते जिसका परिणाम यह होता है की उपरोक्त विधियों का पुरा लाभ हमें नहीं मिल पाता। अब परमपिता परमात्मा हमें यही सिखाते हैं की जैसे आपकी सोच, वैसा आपका संसार, वैसे आपकी सृष्टि अर्थात वैसा आपका स्वास्थ्य. । यदि आप अपने संसार को सुखद बनाना चाहते हैं तो आप अपने मन की सोच को सकारात्मक बनाइए। राजयोग जिससे हम परमपिता परमात्मा से जुड़ जाते हैं और सकारात्मकता की शक्ति हमारे अंदर समाहित होने लगती है जो हमें स्वस्थ बनाए रखती है।
    योग शिविर में आए हुए भाई - बहनों को डॉक्टर पंखुड़ी चतुर्वेदी द्वारा योगासन और प्राणायाम का अभ्यास बहुत ही सुंदर ढंग से कराया गया। संस्था के  स्थानीय सेवा केंद्रों पर 22 जून 2023 से प्रातः 7:00 से 8:00 बजे एवं संध्या 7:00 से 8:00 बजे दो सत्रों में राजयोग शिविर का आयोजन किया जा रहा है l जिसका निःशुल्क लाभ नगरवासी ले सकते हैं।