19 लाख की ठगी करने वाले जामताड़ा गैंग के पांच बदमाश गिरफ्तार, आरोपियों से 151 फर्जी सिम कार्ड भी जब्त

गूगल में कस्टमर केयर नंबर सर्च करने वालों को किया जाता था टारगेट

19 लाख की ठगी करने वाले जामताड़ा गैंग के पांच बदमाश गिरफ्तार, आरोपियों से 151 फर्जी सिम कार्ड भी जब्त

 


रायपुर। पुलिस ने ठगी मामले में झारखंड के जामताड़ा गैंग के पांच लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। आरोपियों के कब्जे से 151 सिम कार्ड,16 मोबाइल फोन और 11 एटीएम कार्ड भी जब्त किया गया है। आरोपियों द्वारा ऐसे लोगों को निशाना बनाया जाता था जो गूगल में जाकर किसी कस्टमर केयर का नंबर सर्च किया करते थे। आरोपियों द्वारा गूगल पर अपने फर्जी नंबर अपलोड करके सर्विस प्रोवाइडर बनकर लोगों का खाता खाली कर दिया जाता था। अगर आप भी गूगल पर किसी कस्टमर नंबर का नंबर ढूंढते हैं तो सावधान हो जाए। गूगल पर कस्टमर केयर पर नंबर सर्च करते वक्त सावधानी बरतें। कस्टमर केयर नंबर के लिए हमेशा संबंधित कंपनी की वेबसाइट पर ही जाएं। +92, 440-846922-920 या 940 जैसे नंबर से कॉल आने पर रिसीव न करें ये ठग गैंग के नंबर्स हैं। रायपुर के 4 लोगों से 19 लाख 54 हजार की ठगी आरोपियों द्वारा की गई है।
मिली जानकारी के अनुसार रायपुर के कुछ कारोबारी और गृहणियों के साथ ठगी हुई थी। इस मामले में इस मामले में पुलिस ने अपराध दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि बंगाल में छुपकर लोगों को फोन पर बातें करते हुए ठग लिया करते थे। रायपुर के अलग-अलग थानों में पुलिस को गूगल कस्टमर केयर नंबर सर्च किए जाने के बाद लोगों को ठगे जाने की शिकायत मिल रही थी । सुदर्शन जैन ने पंडरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि इन्होंने अपने बैंक से रजिस्टर मोबाइल नंबर बदलने के लिए कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर सर्च किया। जो नंबर मिला उस पर बातचीत के बाद पे सपोर्ट नाम का एक ऐप डाउनलोड करने के लिए एजेंट की ओर से कहा गया । एप डाउनलोड करने के बाद इनके खाते से 14 लाख निकाल लिए गए। इसी तरह पंडरी इलाके के कारोबारी सुभाष चंद्र जैन के खाते से 1 लाख 42000 निकाल लिए गए, रायपुर की रहने वाली संध्या काबरा के खाते से इसी तरह 2 लाख 12000 निकाल लिए गए। रायपुर के केदार प्रधान के खाते से भी इसी तरह लाखों रुपए की ठगी हुई।
बंगाल के एक मकान में दबिश देकर पुलिस ने ठगों को पकड़ा
लगातार हो रही इन ठगी की वारदातों की वजह से रायपुर पुलिस के अफसर हरकत में आए । फोन नंबर और खातों की जानकारी को ट्रेस करने पर बंगाल के दुर्गापुर में ठगों के लोकेशन की जानकारी मिली । इसके बाद रायपुर पुलिस की टीम बंगाल पहुंची । ठग छुपकर फर्जी नंबरों के जरिए इस पूरे कांड को अंजाम दे रहे थे। जिन लोगों के खातों पर रुपए ट्रांसफर हुए वह किसी और के नाम पर थे । जिन नंबर से लोगों को ठगने के लिए फोन किया गया वह नंबर भी किसी और के नाम से रजिस्टर थे। मगर अलग-अलग लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस को एक पुख्ता खबर मिली और उस मकान का पता चला जहां ठग छुपे थे। मकान में छापा मारकर 5 युवकों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए युवकों में एमडी आलम, दिनेश राय, प्रकाश राज, महेंद्र सिंह और रोहित कुमार यादव शामिल थे। यह झारखंड के देवघर और जामताड़ा के रहने वाले हैं और इसी तरह लोगों को ठगने का काम पिछले लंबे वक्त से कर रहे थे। मकान की तलाशी लेने पर पुलिस को इनके कब्जे से 16 मोबाइल फोन और अलग-अलग कंपनियों की 151 सिम कार्ड मिले। अलग-अलग बैंकों के 11 एटीएम कार्ड भी इनके पास से मिले, जिसका इस्तेमाल यह ठगी की रकम को निकालने में करते थे।

ऐसे लोग होते हैं ठगी के शिकार
वर्तमान में लोग रुपयों के लेनदेन के लिए वॉलेट व बैंकिंग एप का उपयोग कर रहा है। कभी-कभी ट्रांजेक्शन फेल होने या सामने वाले को रुपए नहीं पहुंचने पर हड़बड़ी में कस्टमर केयर से सहायता लेना चाहते हैं। व्यक्ति इन वॉलेट व बैंक के कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर ढूंढते हैं। ये अधिकांश नंबर साइबर ठगों के होते हैं, जो कस्टमर केयर बनकर सहायता करने का आश्वासन देते हैं। कस्टमर से उसके खाते की सारी गोपनीय जानकारी एटीएम पिन, ओटीपी पूछ लेते हैं या आपके मोबाइल पर एनीडेस्क नाम का एप्लीकेशन लोड करवा देते हैं। उन्होंने बताया एनीडेस्क एक तरह का रिमोट एक्सेस एप्लीकेशन है। इससे कनेक्ट करके साइबर ठग पीन जान कर कस्टमर के खाते से रुपए निकाल लेते हैं।