शांतिनिकेतन के तर्ज पर मनाया गया बसंत उत्सव

डीके दत्ता, राजदीप सेन व सुभेन्दु बारची को को मिला बसंत प्रभा सम्मान

शांतिनिकेतन के तर्ज पर मनाया गया बसंत उत्सव

भिलाई। स्कूल ऑफ परफॉरमिंग आर्टस गीत वितान कला केन्द्र  भिलाई द्वारा संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सहयोग से शांतिनिकेतन के तर्ज पर बसंत उत्सव भिलाई में मनाया गया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर के छायाचित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण एवं समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मुख्य अतिथि भूपेन्द्र कुलदीप (रजिस्ट्रार) हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग, अजय कुमार चक्रवर्ती अधिशासी निर्देशक (सामग्री प्रबंधन), विशेष अतिथि एस के घोषाल मुख्य महाप्रबंधक (एस एम एस-1) बी.एस.पी, डॉ. नेहा गुप्ता (मेंमर जज) लोक अदालत दुर्ग, ब्रम्हकुमारी आशाजी इन्चार्ज ब्रम्ह कुमारी भिलाई, संस्था के संरक्षक नरेन्द्र बंछोर सेफी चेयर मेन भिलाई, वीके मोहम्मद  डायरेक्टर सनमथी एन्टरप्राईज मंचासिन थे। 
सर्वप्रथम संस्था के नृत्य शिक्षक मिथुन दास ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया तथा विभा मधु चित्रकला छात्रा ने शांतिनिकेतन के संस्कृति के अनुरूप सभी का चंदन तिलक लगाकर स्वागत किया। कार्यक्रम में सामाजिक उत्थान व उत्कृष्ट कार्यों के लिए भिलाई बंगाली समाज के अध्यक्ष डीके दत्ता, सचिव राजदीप सेन, सुभेन्दु बारची  को बसंत प्रभा 2023 से सम्मानित किया गया। अतिथि भूपेन्द्र कूलदीप ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं विविध कला को नये पीढ़ी तक पहुचाने का कार्य एवं संस्कृति को जीवित रखने के लिए गीत वितान सराहना का पात्र है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति पर आधारित लोक गीत मुख मुरली बजाय (फाग गीत) से प्रारंभ किया गया जिसमें गीत वितान के लोक संगीत कलाकारों ने प्रभावी प्रस्तुति दिया इसके पश्चात शांतिनिकेतन के संस्कृति (बसंत उत्सव) की पहली प्रस्तुति ओरे गृहवासी खोल द्वार खोल गीत से किया गया जिसमें छात्राओं ने गुलाल उड़ाते हुए बसंत के आगमन को दर्शाया। गीत मोर वीणा ओठे कोन सुरेबाजी, दोखीन हावा जागो जागो बसंत ऋतु पर आधारित रवीन्द्रनाट्यम (नृत्य) एवं गीत की प्रस्तुति संस्था के कलाकारो द्वारा दिया गयां रवीन्द्र संगीत एवं फिल्म गीत के जुगल बंदी के अनोखी प्रस्तुति दी गई जिसमें तेरे मेरे मिलन की रैना जोदी तारे नाइ चीनी गो - शेकी, चंदा देखा चंदा, चंदा भी शरमाए आमी तो माए जोतो सुनिये छीलेम गान की प्रस्तुति ने दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वस्वर पाठ रंगीन (रवीन्द्रकविता) का पाठ किया गया जिसमें बसंत के प्रभा को समझाया गया। कार्यक्रम के अंतिम में छत्तासगढ़ी लोक संगीत या झूलनी मा झूल रहे एवं मोर पैरी बाजे छुम छुम की प्रस्तुति से बसंत उत्सव का समापन किया गया। कार्यक्रम में आलेख का पाठ शुभेन्दू बारचि, जॉली चक्रवर्ती एवं मंच संचालन रचना श्रीवास्तव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था के उपाध्यक्ष रजनी सिन्हा ने दिया।